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कोरोना से संक्रमित मशहूर बंगाली अभिनेता सौमित्र चटर्जी का निधन, सत्यजीत रे के थे पसंदीदा हीरो

मशहूर बंगाली अभिनेता सौमित्र चटर्जी 85 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। वे लंबे समय से बीमार थे। 6...
कोरोना से संक्रमित मशहूर बंगाली अभिनेता सौमित्र चटर्जी का निधन, सत्यजीत रे के थे पसंदीदा हीरो

मशहूर बंगाली अभिनेता सौमित्र चटर्जी 85 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। वे लंबे समय से बीमार थे। 6 अक्टूबर को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद से सौमित्र कोलकाता के अस्पताल में भर्ती थे। इस वायरस से सौमित्र ने जंग जीत ली थी, लेकिन उनकी तबीयत आए दिन बिगड़ती जा रही थी। उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनके परिवार में पत्नी  दीपा, बेटे सौगात और बेटी पोलामी बोस हैं।

सौमित्र चटर्जी के दुनिया को अलविदा कह जाने से उनके फैंस और सेलेब्स को झटका लगा है। सोशल मीडिया पर सौमित्र चटर्जी को याद कर फैंस उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

चटर्जी को फिल्मी दुनिया में ऑस्कर विजेता निर्देशक सत्यजीत रे के पसंदीदा नायक के रूप में जाना जाता है। सौमित्र ने सत्यजीत रे के साथ 14 फिल्मों में काम किया था। उन्होंने 1959 में फिल्म 'अपुर संसार' से अपने करियर की शुरुआत की थी। सत्यजीत रे की अपूर संसार (1959) में डेब्यू करने के बाद से अपने छह दशक लंबे करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया।

सौमित्र का जन्म 1935 में कोलकाता में हुआ था। साल 2012 में सौमित्र चटर्जी को फिल्मों और नाटकों में अमूल्य योगदान के लिए दादा साहब फाल्के अवॉर्ड दिया गया था। इससे पहले भारत सरकार ने साल 2004 में सौमित्र को पद्म भूषण और 1999 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। उन्हें 2018 में सर्वोच्च फ्रांसीसी नागरिक सम्मान, लीजन ऑफ ऑनर प्राप्त हुआ। हालांकि, उन्होंने 1970 में पद्मश्री से यह कहते हुए मना कर दिया था कि सरकार ने सिनेमा के लिए कुछ नहीं किया है।

चटर्जी ने मृणाल सेन की चार फ़िल्मों में भी काम किया, जिनमें भारत के एक अन्य कला घराने के फ़िल्मकार भी शामिल हैं, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है - पुण्छा (1961), प्रतितिनिधि (1964), आकाश कुशम (1965) और महामिथिबी (1991)। उन्होंने प्रतिष्ठित निर्देशकों तपन सिन्हा, अजय कर और असित सेन के साथ भी काम किया। मुख्यधारा की फिल्मों में उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि सालों तक बंगाली फिल्म प्रेमी उत्तम कुमार-सौमित्र चटर्जी की तुलना में ध्रुवीकृत रहे, जैसे बंगाली को कट्टर प्रतिद्वंद्वी फुटबॉल क्लब, पूर्वी बंगाल और मोहन बागान में विभाजित किया गया था। उनकी एक चरित्र अभिनेता के स्टार बनने की कहानी थी।

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