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क्या था गेस्ट हाउस कांड, जिसके बाद मायावती-मुलायम बन गए थे जानी दुश्मन

राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। भारतीय जनता पार्टी को 2019 के आम चुनाव में सत्ता से...
क्या था गेस्ट हाउस कांड, जिसके बाद मायावती-मुलायम बन गए थे जानी दुश्मन

राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। भारतीय जनता पार्टी को 2019 के आम चुनाव में सत्ता से बेदखल करने के लिए उत्तर प्रदेश में दो धुरविरोधी पार्टियां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है।

दोनों पार्टी का साथ आना कई मायनों में ऐतिहासक है क्योंकि मायावती ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘गेस्ट हाउस कांड जनहित से ऊपर है। पार्टी ने 1995 के लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को देश से ऊपर रखते हुए गठबंधन का फैसला लिया है।’ दोनों ही पार्टियों ने ‘जनहित’ के लिए 23 साल पुरानी दुश्मनी भुला दी है।

क्या है गेस्ट हाउस कांड

1993 में उत्तर प्रदेश की दोनों बड़ी और विरोधी पार्टियों सपा और बसपा ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। यह वह दौर था जब उत्तर प्रदेश में मंदिर विवाद के कारण ध्रुवीकरण हो गया था और भलाई इसी में थी कि पार्टियां मिल कर ताकत एकजुट कर लेतीं। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ऐसा किया भी। लेकिन चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। फिर गठबंधन की सरकार बनी जिसने 4 दिसंबर 1993 को सत्ता संभाली। लेकिन 1995 में जून की 2 तारीख को मायावती ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। भाजपा ने मायावती को समर्थन की घोषणा की। इसी बातचीत के लिए मायावती गेस्ट हाउस में थीं। सपा समर्थकों को जब यह पता चल गया कि मायावती समर्थन वापस लेने वाली हैं।   

सपा समर्थकों को यह बात रास नहीं आई और समर्थकों की उन्मादी भीड़ ने राजकीय अतिथि गृह पर हमला बोल दिया जहां मायावती ठहरी हुई थीं। सपा समर्थकों ने बंद कमरे में मायावती के साथ बदसलूकी का प्रयास किया और उन्हें बहुत परेशान किया गया। उस वक्त दर्ज रिपोर्ट में लिखवाया गया था कि सपा के लोगों ने मायावती को धक्का दिया और जान से मारने की कोशिश की। बहुत कोशिश के बाद मायावती को गेस्ट हाउस से निकाला गया था।

अंत भला तो सब भला

साझा प्रेस कांफ्रेंस और सीट बंटवारे के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल है कि इस दोस्ती से 23 साल पुराना गेस्ट हाउस प्रकरण दफन हो जाएगा और एक नई क्रांतिकारी शुरुआत होगी। दोनों दलों के बीच हाल ही में गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव के वक्त ही बर्फ पिघलनी शुरू हो गई थी। उपचुनाव में सपा प्रत्याशियों को जीत मिलने के बाद अखिलेश मायावती के पास सौजन्य भेंट के लिए भी गए थे।

'बुआ' ने किया 'भतीजे' का बचाव

मायावती ने गठबंधन के बाद गेस्टहाउस प्रकरण पर यह कहकर विराम लगा दिया कि उस वक्त अखिलेश राजनीति में आए भी नहीं थे। दोनों पार्टियों की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है।

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