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चिराग को एक और झटका, लोकसभा में चाचा पशुपति पारस होंगे LJP के नेता, स्पीकर ने लगाई मुहर

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में उठे सियासी घमासान के बीच सोमवार देर शाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने...
चिराग को एक और झटका, लोकसभा में चाचा पशुपति पारस होंगे LJP के नेता, स्पीकर ने लगाई मुहर

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में उठे सियासी घमासान के बीच सोमवार देर शाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसद पशुपति पारस को पार्टी के संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी। एलजेपी के छह में से पांच सांसदों ने यह मांग की थी। अब चिराग की जगह उनके चाचा पशुपति पारस लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता होंगे। महबूब अली कैसर को पार्टी का उपनेता चुना गया।

दिवंगत नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस के नेतृत्व में एलजेपी के छह सांसदों में से पांच सांसदों ने पार्टी से बगावत कर दी। सभी ने चिराग पासवान की जगह पशुपति को अपना नेता चुना और इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा था, जिस परलोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें संसदीय दल के नेता के रूप मे मान्यता दे दी है। लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए पशुपति पारस ने उन्हें एक अच्छा नेता और विकास पुरुष बताया। हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा, ‘‘मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है।’’ उन्होंने कहा कि एलजेपी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खिलाफ पार्टी के लड़ने और खराब प्रदर्शन से नाखुश हैं। चुनाव में खराब प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि एलजेपी टूट के कगार पर थी। उन्होंने कहा कि उनका दल बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का हिस्सा बना रहेगा और चिराग पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं।

चिराग पासवान दिल्ली स्थित उनके चाचा के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे। यहां पासवान के रिश्ते के भाई एवं सांसद प्रिंस राज भी रहते हैं। हालांकि उन्हें 20 मिनट से ज्यादा समय तक अपनी गाड़ी में ही इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद वह घर के अंदर जा पाए और एक घंटे से भी ज्यादा समय तक घर के अंदर रहने के बाद वहां से चले गए। उनकी चाचा से मुलाकात नहीं हो पाई।

असंतुष्ट एलजेपी सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं। उनका मानना है कि नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ने से प्रदेश की सियासत में पार्टी को नुकसान हुआ।

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