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हिमाचल प्रदेश: शांत पड़ी भाजपा की धधकती ज्वाला

हिमाचल प्रदेश भाजपा में मचा घमासान ठंडा पड़ता जा रहा है। सत्ता के ढाई साल बीतने के बाद औहदों को लेकर चल...
हिमाचल प्रदेश: शांत पड़ी भाजपा की धधकती ज्वाला

हिमाचल प्रदेश भाजपा में मचा घमासान ठंडा पड़ता जा रहा है। सत्ता के ढाई साल बीतने के बाद औहदों को लेकर चल रही कशमकश के बीच, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बड़ा मंत्रिमंडल फेरबदल करके क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों के बीच एका करने का प्रयास किया। वहीं विवादों में आए पार्टी अध्यक्ष पद पर नई ताजपोशी के बाद, मंत्रिमंडल संतुलन की कवायद ने संगठन और सरकार को नई ऊर्जा दी है। कोरोना के दौर में राजनीतिक अपेक्षाओं की पूर्ति के साथ ही प्रदेश को आर्थिक दृष्टि से उबरना भी भाजपा के मुख्यमंत्री की बड़ी चुनौती बनी हुई थी।

हालांकि अपने मंत्रिमंडल में विभागों में किए एक बड़े फेरबदल से मंत्रियों के बीच सुगबुगाहट भी है लेकिन अगले ढाई साल में राज्य की दशा और दिशा ,सरकार के कामकाज पर टिकेगी, इसीलिए यह बड़ा परिवर्तन हुआ है। इसी के साथ अगले क्रम में बड़ा प्रशासनिक बदलाव भी होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि जयराम ठाकुर सरकार की बेहतरीन परफारमेंस देखना चाहते हैं इसलिए मंत्रियों को कामकाज के टारगेट दिए गए हैं।


दरअसल हिमाचल प्रदेश भाजपा में संगठन के नए रूप के गठन के साथ ही अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल बनाए गए। उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद से हटा कर पार्टी का यह जिम्मा दिया गया। लेकिन चंद दिनों में ही कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य विभाग पर उठी उंगली के कारण उन्होंने पद छोड़ दिया। करीब सवा महीना संगठन बिना अध्यक्ष के रहा। इसी बीच हाईकमान ने सुरेश कश्यप, जो शिमला से सांसद भी हैं, को पार्टी प्रजिडेंट बना दिया। इसी कड़ी में  लंबे इंतजार के बाद प्रदेश  मंत्रिमंडल  का विस्तार भी हुआ और विभागों का व्यापक फेरबदल भी।

 मंत्रिमंडल में पिछले काफी समय से खाली चल रहे तीनों पदों को भरा गया


मंत्रियों की परफारर्मेंस के आकलन की रिपोर्ट हाईकमान तक भी पहुंची और उसी आधार पर परिवर्तन किए गए। इनमें कुछ मंत्रियों को झटका दिया गया वहीं नए चेहरों को मजबूत जिम्मेदारियों से नवाजा गया। यद्यपि कोई ड्राप नहीं हुआ परंतु ‘पर ‘जरूर कतरे गए हैं। गोविंद ठाकुर जो ‘विचारधारा ‘की मजबूत पृष्ठभूमि से हैं, से दो बड़े महकमे लेकर शिक्षा विभाग दिया गया। बताया जा रहा है कि उनकी कार में गत दिनों हुई चोरी का मामला भी ऊपर तक पहुंचा था। वहीं सरवीन चौधरी का एक अफसर को लेकर चला बड़ा विवाद ,कांगड़ा जिला में खासी चर्चा में रहा। अब इनका विभाग शिमला से मंत्री सुरेश भारद्वाज को दिया गया।

मुख्यमंत्री ने अपनी टीम के दो बड़े मंत्रियों महेंद्र ठाकुर और विक्रम सिंह को और भी मजबूत कर दिया है। इन्हीं के साथ कांगड़ा से नए बने तीसरे राजपूत नेता राकेश पठानिया को भी वन एवं खेल मंत्रालय दिया है। दलित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले राजीव सैजल को विवादों में रहा स्वास्थ्य महकमा तो दिया गया ,लेकिन मैडिकल एजूकेशन विभाग न मिलने से संतुलन बिगड़ा है। सूत्र बताते हैं कि कुछ महकमे मुख्यमंत्री ने अपने पास रखे हैं जिन्हें वह मंत्रियों के कामकाज को देखते हुए आगे दे सकते हैं। फिलहाल मंत्रियों में विभागों को लेकर अभी संतुष्टि नहीं है। बार-बार संगठन व सरकार के स्तर पर वे नाराजगी जता रहे हैं। 


कुछ महीने पहले पार्टी में नेताओं के बीच चले झगड़े व ब्यानबाजी को इस बदलाव ने शांत करने की कोशिश की है परंतु कांगड़ा की ज्वाला पर जयराम खुद आँख गड़ाए हैं ।हाल ही में मुख्यमंत्री के कांगड़ा दौरे में विभिन्न बैठकों में झगड़े की भड़ास निकली है लेकिन सार्वजनिक मंच पर नहीं। मुख्यमंत्री ने सभी को अपने साथ एक स्थान पर बिठाया और बराबर त्वज्जो दी। अब अगला फोकस कोरोना के बीच रोजगार देना व आर्थिकी को समेटना है। इसीलिए मंत्रियों की सहूलियत के अनुरूप 15 अगस्त के बाद बड़ा प्रशासनिक बदलाव भी होने जा रहा है। माना जा रहा है कि बड़े जिलों से उपायुक्त बदले जा सकते हैं वहीं विभागाध्यक्षों में भी परिवर्तन होगा। इसीलिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अफसरों का गत 10 साल का परफारमेंट रिकार्ड मांगा है। इसी के आधार पर नई असाइनमेंट मिलेगी। हालांकि अभी अफसर अपने वरिष्ठ सचिवों के मार्फत और विधायकों के जरिए बड़ी "लॉबिंग' कर रहे हैं। लेकिन जयराम सिर्फ काम करने की क्षमता का आकलन कर रहे  हैं ।

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