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शेयर बाजार के बुलबुले में मोदी की हवा

अदानी, टाटा मोटर्स और रिलायंस जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 31 दिसंबर 2013 के बाद तेज वृद्धि देखने को मिली है क्योंकि इन सभी कंपनियों के मालिक लंबे समय से मोदी के करीब रहे हैं।
शेयर बाजार के बुलबुले में मोदी की हवा

शेयर बाजार की प्रवृत्ति रही है कि जिस रफ्तार से यह चढ़ता है, उसी रफ्तार से ढलान की ओर भी जाता है। लेकिन बाजार और संवेदी सूचकांक (सेंसेक्स) की मौजूदा स्थिति उन्हीं कंपनियों के हित में है जिनकी नजदीकी या यों कहें जिन पर मोदी सरकार की कृपा बरस रही है।

सात साल पहले जब सेंसेक्स ने 18 हजार का आंकड़ा पार किया था तो तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि यह विदेशों से प्रचुर मात्रा में आने वाले धन के कारण हो रहा है। तो क्या अब सेंसेक्स के 29 हजार आंकड़ा पार करने के पीछे भी यही कारण है?

सन 2010 में सेबी ने जो आंकड़े जारी किए थे, उस हिसाब से भारतीय बाजार में खुदरा निवेशकों की संख्या 80 लाख बताई गई थी। अब नोमुरा, सिटीग्रुप तथा मॉर्गन स्टेनली जैसी कंपनियां इस साल दिसंबर के अंत तक सेंसेक्स के 33,500 पर पहुंच जाने की भविष्यवाणी कर रही हैं। क्या इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिल रहा है?

उद्योग जगत में नई सरकार को कारोबारियों के शुभचिंतक के रूप में देखा जा रहा है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले साल फरवरी में सेंसेक्स 20,200 पर था लेकिन मोदी की सरकार बनने के बाद अब यह 29 हजार के आसपास इतरा रहा है। चीन और जापान के बावजूद कुछ उभरती अर्थव्यवस्‍थाएं बेहतर निवेश माहौल पैदा कर रही हैं और भारत में सन 2014 में ही विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने 40 अरब डॉलर झोंक दिए हैं।

हम यहां कुछ ऐसी कंपनियों का जिक्र कर रहे हैं जिनका मोदी के साथ ‘दोस्ताना’ रिश्ता रहा है या जो उनकी नीतियों पर केंद्रित रहते हुए  ‘मुनाफे’ की स्थिति में हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी अपने भाषणों में अक्सर पूंजीगत वस्तुओं की कंपनियों, रेलवे, ऊर्जा एवं पर्यटन क्षेत्र का जिक्र करते रहे और इन सभी कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त इजाफा देखने को मिला है।  अदानी, टाटा मोटर्स और रिलायंस जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 31 दिसंबर 2013 के बाद तेज वृद्धि देखने को मिली है क्योंकि इन सभी कंपनियों के मालिक लंबे समय से मोदी के करीब रहे हैं। मजे की बात है कि इस दौरान मोदी के करीब रहने वाली कंपनियों के शेयर जितनी तेजी से चढ़े हैं, उस हिसाब से संवेदी सूचकांक भी ऊपर नहीं पहुंच पाया है। एक जनवरी 2014 को यदि आपने मोदी की पसंदीदा कंपनियों में निवेश किया है तो फरवरी के पहले हफ्ते तक यानी एक साल के अंतराल में ही आपको 110 प्रतिशत का मुनाफा मिल गया होगा।

लेकिन यदि आपने संवेदी सूचकांक में सूचीबद्ध किसी अन्य कंपनी में निवेश किया है तो इस दौरान आपका मुनाफा सिर्फ 36 प्रतिशत ही हुआ होगा। इस दौरान देखा गया है कि अदानी को 144 प्रतिशत, टाटा मोटर्स को 60 प्रतिशत, रिलायंस इंडस्ट्री को 4.7 प्रतिशत, एलएंडडी को 60.9 प्रतिशत, भेल को 67.9 प्रतिशत, भारत फोर्ज 233 प्रतिशत, बीईएमएल को 297 प्रतिशत, कंटेनर कॉर्प को 91 प्रतिशत, टेक्समैको रेल को 281 प्रतिशत, पावर ग्रिड को 47 प्रतिशत, एनटीपीसी को 5.1 प्रतिशत, रिलायंस इन्फ्रा को 17.6 प्रतिशत, इंडियन होटल्स को 97.2 प्रतिशत, जेट एयरवेज को 69.7 प्रतिशत और कॉक्स एंड किंग्स को 174.2 प्रतिशत का मुनाफा हुआ है क्योंकि ये सभी कंपनियों मोदी और मोदी सरकार की नीतियों की समर्थक रही हैं।

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