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सरकारी बैंकों के मेगा मर्जर का ऐलान, 10 बैंक बन जाएंगे चार, पीएनबी बनेगा दूसरा सबसे बड़ा बैंक

लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार आजकल तेजी ने नए रिफॉर्म का ऐलान कर रही है। इसी कड़ी में...
सरकारी बैंकों के मेगा मर्जर का ऐलान, 10 बैंक बन जाएंगे चार, पीएनबी बनेगा दूसरा सबसे बड़ा बैंक

लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार आजकल तेजी ने नए रिफॉर्म का ऐलान कर रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के मेगा मर्जर प्लान का ऐलान कर दिया। इसके तहत 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर चार बड़े बैंक बनाए जाएंगे। इन बैंकों के विलय के बाद देश में 12 सरकारी बैंक रह जाएंगे। ये बैंक अपने नए स्वरूप में एक अप्रैल 2020 से काम करना शुरू कर देंगे। वित्त मंत्री के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय किया जाएगा। इसके बाद पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। जबकि केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय होगा। इसी तरह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ,आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का आपस में विलय किया जाएगा। जबकि इलाहाबाद बैंक और इंडियन बैंक का आपस में विलय होगा।

 रह जाएंगे 12 सरकारी बैंक

इन बैंकों के विलय के बाद देश अप्रैल 2020 से सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी। इसके पहले मोदी सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय किया गया था। जो एक अप्रैल 2019 से काम करने लगा था। इसके पहले 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने एसबीआई और उसके एसोसिएट्स बैंक और भारतीय महिला बैंक के विलय का ऐलान किया था। इसके तहत  विलय के बाद  एक अप्रैल 2017 से एसबीआई ने काम करना शुरू कर दिया।

 कैसे बदलेगा स्वरूप

 विलय के बाद  पंजाब नेशनल बैंक का बिजनेस 17.94 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। इसी तरह केनरा और सिंडिकेट बैंक का बिजनेस 15.20 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। वहीं यूनियन, आंध्रा और कॉरपोरेशन बैंक का बिजनेस 14.59 लाख करोड़ और इलाहाबाद, इंडियन बैंक 8.08 लाख करोड़ का बिजनेस हो जाएगा। 

सरकार क्यों कर रही है विलय

वित्त मंत्री सीतारमण का कहना है कि इस कदम से बैंक ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे, वहीं उनके जोखिम लेने की क्षमता में भी इजाफा होगा। इस मामले पर एनआईपीएफपी के प्रोफेसर एन.आर.भानूमूर्ति का कहना है कि जिस तरह से अर्थव्यवस्था में सुस्ती है। ऐसे में बड़े रिफॉर्म की जरूरत है। बैंकों का विलय एक अच्छा कदम है। इससे सरकारी बैंकों की स्थिति में सुधार होगा।

कर्मचारियों का विरोध

दिल्ली प्रदेश बैंक वर्कर्स ऑर्गनाइजेशन के जनरल सेक्रेटरी अश्विनी  राणा का कहना है कि हम सरकार के इस कदम का विरोध करते हैं। इस फैसले से एचआर कन्सालिडेशन पर नकारात्मक असर होगा। साथ ही बैंकों में रोजगार के अवसर कम होंगे। इसके अलावा अलग-अलग बैंकों के विलय में टेक्नोलॉजी की प्रॉब्लम के साथ कार्य संस्कृति का भी असर पड़ता है। साथ ही कर्मचारियों के प्रमोशन आदि के भी अवसर कम होते हैं। 

 किस बैंक में कितनी पूंजी डालेगी सरकार

इंडियन बैंक:                    2500 करोड़ रुपये
केनरा बैंक:                       6500 करोड़ रुपये
बैंक आफ बड़ौदा:              7000 करोड़ रुपये
यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया: 1600 करोड़ रुपये
बैंक आफ इंडिया:               11700 करोड़ रुपये
पीएनबी:                            16000 करोड़ रुपये
ओवरसीज बैंक:                  3800 करोड़ रुपये
यूको बैंक:                           2100 करोड़ रुपये

 एनपीए में कमी 

शुक्रवार को वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण बैंकों के एनपीए में कमी आई है। दिसंबर 2018 में एनपीए 8.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर 7.90 लाख करोड़ रुपये रह गया है।वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बैंकों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी। सीतारमण ने कहा कि इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब और सिंध बैंक पहले की तरह काम करते रहेंगे, क्योंकि उनका क्षेत्रीय फोकस मजबूत है।

 

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