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जी़डीपी की नई सीरीज पर NSSO ने उठाए सवाल, जानिए क्या है पूरा मामला

नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) को कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के उन आंकड़ों में गड़बड़ी नजर आ रही है...
जी़डीपी की नई सीरीज पर NSSO ने उठाए सवाल, जानिए क्या है पूरा मामला

नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) को कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के उन आंकड़ों में गड़बड़ी नजर आ रही है जिसके आधार पर नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भारत की जीडीपी सीरीज की गणना की गई थी। इससे एकबार फिर जीडीपी के आंकड़ों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। एनएसएसओ के अध्ययन से जीडीपी गणना में जो खामियां उजागर हुई हैं, उससे ये बात तो साफ हो गई है कि विकास दर के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है।

एनएसएसओ एक सरकारी संस्था है, जिसने अपने अध्ययन में पाया था कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जिस वेबसाइट से आंकड़े लिए जाते हैं, वहां सूचीबद्ध 36 फीसदी कंपनियों का कोई अता-पता नहीं है। हालांकि सरकार का दावा है कि इन फर्जी कंपनियों को गणना में शामिल करने से आर्थिक आंकड़ों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। साथ ही सरकार इन आंकड़ों के इस्तेमाल में आई खामियों के उपचार के भी दावे कर रही है।

कैसे शुरू हुआ ये पूरा विवाद

दरअसल, यह पूरा विवाद MCA-21 आधारित जीडीपी की नई सीरीज के प्रयोग के चलते शुरू हुआ है। साल 2015 से सीएसओ ने आंकड़ों के संग्रहण के लिए इसका उपयोग करना शुरू किया। MCA-21 डेटाबेस की ऐसी कंपनियां हैं, जिनका उपयोग जीडीपी की गणना के लिए किया जाता है।

MCA-21 डेटाबेस की 36 फीसदी कंपनियों का कोई अता-पता नहीं

एनएसएसओ का ये अध्ययन बीते साल जून 2017 में पूरा हुआ था जबकि उसकी रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही जारी हुई है। इस अध्ययन में पाया गया कि MCA-21 डेटाबेस की 36 फीसदी कंपनियों का कोई अता-पता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने इन लापता कंपनियों को ‘सक्रिय कंपनी’ की श्रेणी में रखा है। इस श्रेणी में उन कंपनियों को रखा जाता है, जिन्होंने गुजरे तीन वर्षों में कम-से-कम एक बार टैक्स चुकाया हो।

सबसे बड़ी चिंता का विषय अर्थव्यवस्था पर निवेशकों का भरोसा

कहा जा रहा है कि इस पूरे विवाद के सामने आने से सबसे बड़ी चिंता का विषय अर्थव्यवस्था पर निवेशकों का भरोसा है। जब सरकारी आंकड़े संदेह के घेरे में आ जाते हैं तो अर्थव्यवस्था अपनी साख खो देती है। जिसके चलते निवेशक विकास दर के आंकड़ों को संदेह की नजर से देखते हैं. जिससे वे ऐसी व्यवस्था में निवेश करने से बचते हैं।

वहीं, जानकारों का मानन है कि ऐसी कंपनियां जिन्होंने किसी निश्चित साल में अपने आंकड़े नहीं बताए हैं, उन्हें सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) गणना में शामिल करने से गलत परिणाम ही मिलेंगे। जीवीए, अर्थव्यवस्था या व्यावसायिक क्षेत्र में उत्पादित कुल माल व सेवाओं के मूल्य की माप है। इस समय गणना के लिए जिस तरीके का प्रयोग किया जा रहा है, उसके अनुसार अगर कोई कंपनी गणना के साल के दौरान अपने आंकड़े सार्वजनिक नहीं करती है तो सीएसओ इसके लिए ‘ब्लो-अप’ तरीके का इस्तेमाल करता है।

कांग्रेस ने लगाया आरोप

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार द्वारा जारी जीडीपी के आंकड़े गलत और फर्जी हैं। एनएसएसओ के एक अध्ययन को आधार बना कर कांग्रेस ने ये आरोप लगाया। उसने कहा कि एशिया की तथाकथित तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आंकड़ों पर राष्ट्रीय संस्थान द्वारा सवाल खड़ा किया जाना भारत की साख पर धब्बा है।

 

 

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