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इंटर-स्टेट ई-वे बिल फरवरी से होगा लागू, जीएसटी परिषद ने दी हरी झंडी

जीएसटी लागू होने के बाद से अटके इंटर-स्टेट ई-वे बिल को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। जीएसटी परिषद ने...
इंटर-स्टेट ई-वे बिल फरवरी से होगा लागू, जीएसटी परिषद ने दी हरी झंडी

जीएसटी लागू होने के बाद से अटके इंटर-स्टेट ई-वे बिल को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। जीएसटी परिषद ने इसे पहली फरवरी से लागू करने पर हरी झंडी दे दी है।

जीएसटी परिषद की 24 वीं बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री अरुण जेतली ने की। वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हुई बैठक में ई-वे बिल को  एक फरवरी से लागू करने की डेडलाइन तय की गई। इससे पहले ई-वे बिल का ट्रायल 16 जनवरी से शुरू होगा, जबकि इंट्रा स्टेट ई-वे बिल  एक जून 2018 से लागू करने का फैसला लिया गया। माना जा रहा है कि इसके लागू होने से सरकार के लिए टैक्स चोरी पर लगाम लगाना आसान हो जाएगा। परिषद ने जीएसटी टैक्स वसूली की समीक्षा की तो पाया कि सितंबर के मुकाबले अक्तूबर में टैक्स काफी कम रहा। सिस्टम और टैक्स चोरी के गैप को करने पर भी चर्चा हुई।

ट्रांसपोर्टेशन के आधार पर ई-वे बिल दो तरह से लागू होगा।  ई-वे बिल के तहत 50 हजार रुपये से ज्यादा के  प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को ऑनलाइन पंजीकरण के जरिए पहले ही बताना होगा।  इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो एक से 20 दिन तक वैध होगा। यह वैधता प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी। मससन सौ  किलोमीटर तक की दूरी के लिए एक दिन का ई-वे बिल बनेगा तो एक हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी के लिए 20 दिन का ई-वे बिल बनेगा। राज्य के अंदर ही स्टॉक ट्रांसपोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा, जबकि एक राज्य से दूसरे राज्य में स्टॉक भेजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनेगा।

 

 

ई-वे बिल रजिस्टर सप्लायर, बायर और ट्रांसपोटर्स जनरेट करेगा। बिल एसएमएस के जरिए बनाया और कैंसल कराया जा सकता है।  बिल से कॉन्ट्रासेप्टिव, ज्युडिशियल और नॉन-ज्युडिशियल स्टैंप पेपर, न्यूज पेपर, ज्वैलरी, खादी, रॉ सिल्क, इंडियन फ्लैग, ह्युमन हेयर, काजल, दीये, चेक, म्युनसिपल वेस्ट, पूजा सामग्री, एलपीजी, कैरोसिन और करेंसी को बाहर रखा गया है। जिस तारीख से ई-वे बिल लागू होगा उसे अलग से अधिसूचितकर दिया जाएगा। इसकी जरूरत नॉन-मोटर कनवेंस, पोर्ट से ट्रांसपोर्ट होने वाले गुड्स, एयरपोर्ट, एयर कार्गो कॉम्पलेक्स और लैंड कस्टम स्टेशन के लिए आने-जाने वाले गुड्स पर नहीं होगी। मल्टीपल कन्साइनमेंट के लिए ट्रांसपोटर्स को कंसॉलिडेट ई-वे बिल बनवाना होगा। अगर गुड्स को एक व्हीकल से दूसरे में ट्रांसफर करना है तो इसस बिल की जरूरत होगी।

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