ऋषिकेश, 24 अक्टूबर (वार्ता) नवरात्रि के महाअष्टमी के अवसर पर आज परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल ने सपरिवार शामिल हुए।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कीर्ति चक्र से सम्मनित श्री डोभाल ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
आज भारत को ऐसे ही समर्पित व्यक्तित्व की आवश्यकता है जो कि देश की गरिमा, मर्यादा, प्रतिष्ठा और समरसता को बनाये रखे।
श्री डोभाल ने माँ गंगा के तट से अपने संस्कारों और धर्म को आगे ले जाने वाले ऋषिकुमारों और देशवासियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि हम राष्ट्र की सुरक्षा नहीं बल्कि राज्य की सुरक्षा करते है।
राष्ट्र की सुरक्षा तो पूज्य संत करते है।
पूज्य संत हमारे राष्ट्र की संस्कृति, संस्कार और आत्मा है।
भारत की संस्कृति और संस्कारों का निर्माण पूज्य संतों ने किया है।
उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण आत्मशक्ति से होता है।
राष्ट्र निर्माण के लिये पूज्य स्वामी जी का महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वामी विवेकानन्द जी और संतों ने हमारे राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति को जीवंत बनाये रखा।
उन्होंने कहा कि माँ गंगा हमारी धरोहर है।
गंगा तो पहले से ही भारत की पहचान है, परन्तु स्वामी जी ने गंगा और भारतीय संस्कृति को एक नयी पहचान दी है।
उन्होंने कहा कि हमारी युद्धनीति स्वार्थ के लिये नहीं, बल्कि परमार्थ के लिये है।
श्री डोभाल ने साध्वी भगवती सरस्वती को हिन्दूधर्म विश्वकोश के 11 खंडों के प्रकाशन के लिये धन्यवाद देते हुये कहा कि इस महाग्रंथ में हिन्दू धर्म और संस्कृति की जो वैज्ञानिक व्याख्या की गयी है वह अद्भुत है।
महाअष्टमी और नवमी के पावन अवसर पर माँ गंगा के पावन तट पर स्वामी जी ने महाग्रंथ हिन्दूधर्म विश्वकोश की प्रति श्री डोभाल जी को भेंट स्वरूप प्रदान की।
इस अवसर पर श्रीमती अनु डोभाल जी, पुत्र शौर्य डोभाल और दोनों बेटियाँ भी उपस्थित थी।
सं. संतोष
वार्ता
ऋषिकेश, 24 अक्टूबर (वार्ता) नवरात्रि के महाअष्टमी के अवसर पर आज परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल ने सपरिवार शामिल हुए।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कीर्ति चक्र से सम्मनित श्री डोभाल ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
आज भारत को ऐसे ही समर्पित व्यक्तित्व की आवश्यकता है जो कि देश की गरिमा, मर्यादा, प्रतिष्ठा और समरसता को बनाये रखे।
श्री डोभाल ने माँ गंगा के तट से अपने संस्कारों और धर्म को आगे ले जाने वाले ऋषिकुमारों और देशवासियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि हम राष्ट्र की सुरक्षा नहीं बल्कि राज्य की सुरक्षा करते है।
राष्ट्र की सुरक्षा तो पूज्य संत करते है।
पूज्य संत हमारे राष्ट्र की संस्कृति, संस्कार और आत्मा है।
भारत की संस्कृति और संस्कारों का निर्माण पूज्य संतों ने किया है।
उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण आत्मशक्ति से होता है।
राष्ट्र निर्माण के लिये पूज्य स्वामी जी का महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वामी विवेकानन्द जी और संतों ने हमारे राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति को जीवंत बनाये रखा।
उन्होंने कहा कि माँ गंगा हमारी धरोहर है।
गंगा तो पहले से ही भारत की पहचान है, परन्तु स्वामी जी ने गंगा और भारतीय संस्कृति को एक नयी पहचान दी है।
उन्होंने कहा कि हमारी युद्धनीति स्वार्थ के लिये नहीं, बल्कि परमार्थ के लिये है।
श्री डोभाल ने साध्वी भगवती सरस्वती को हिन्दूधर्म विश्वकोश के 11 खंडों के प्रकाशन के लिये धन्यवाद देते हुये कहा कि इस महाग्रंथ में हिन्दू धर्म और संस्कृति की जो वैज्ञानिक व्याख्या की गयी है वह अद्भुत है।
महाअष्टमी और नवमी के पावन अवसर पर माँ गंगा के पावन तट पर स्वामी जी ने महाग्रंथ हिन्दूधर्म विश्वकोश की प्रति श्री डोभाल जी को भेंट स्वरूप प्रदान की।
इस अवसर पर श्रीमती अनु डोभाल जी, पुत्र शौर्य डोभाल और दोनों बेटियाँ भी उपस्थित थी।
सं. संतोष
वार्ता