रांची, 24 अक्टूबर (वार्ता) झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड विधेयक विधानसभा से पारित कराकर इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने को लेकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को शनिवार को एक ज्ञापन सौंपा।
पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है और यहां की एक बड़ी आबादी सरना धर्म मानती है, लेकिन इसे अलग धर्म कोड का दर्जा नहीं मिल सका है।
इसका असर आदिवासी समाज के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज के लोग वर्षों से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं।
इस सिलसिले में विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा आपको ज्ञापन भी सौंपा भी गया है।
ऐसे में सरना धर्म कोड को लागू करने की दिशा में सरकार ठोस पहल करे।
झामुमो प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि साल 1871 से लेकर 1951 तक की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड था, लेकिन 1961-62 के जनगणना प्रपत्र से आदिवासी धर्म कोड को हटा दिया गया।
इतना ही नहीं 2011 के जनगणना में देश के 21 राज्यों के रहने वाले लगभग पचास लाख आदिवासियों ने सरना धर्म कोड लिखा था।
ऐसे में 2021 के जनगणना में भी सरना धर्म कोड दर्ज करने का प्रावधान किया जाए।
मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने वाले झामुमो के प्रतिनिधिमंडल में चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा, तमाड़ विधायक विकास सिंह मुंडा, गुमला विधायक भूषण तिर्की, पोटका विधायक संजीव सरदार, जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी, पूर्व विधायक अमित महतो, पूर्व विधायक जोगेंद्र प्रसाद, रामगढ़ के पार्टी जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू और बोकारो के जिलाध्यक्ष हीरालाल हांसदा शामिल थे।
विनय सतीश
वार्ता
रांची, 24 अक्टूबर (वार्ता) झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड विधेयक विधानसभा से पारित कराकर इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने को लेकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को शनिवार को एक ज्ञापन सौंपा।
पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है और यहां की एक बड़ी आबादी सरना धर्म मानती है, लेकिन इसे अलग धर्म कोड का दर्जा नहीं मिल सका है।
इसका असर आदिवासी समाज के धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज के लोग वर्षों से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं।
इस सिलसिले में विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा आपको ज्ञापन भी सौंपा भी गया है।
ऐसे में सरना धर्म कोड को लागू करने की दिशा में सरकार ठोस पहल करे।
झामुमो प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि साल 1871 से लेकर 1951 तक की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड था, लेकिन 1961-62 के जनगणना प्रपत्र से आदिवासी धर्म कोड को हटा दिया गया।
इतना ही नहीं 2011 के जनगणना में देश के 21 राज्यों के रहने वाले लगभग पचास लाख आदिवासियों ने सरना धर्म कोड लिखा था।
ऐसे में 2021 के जनगणना में भी सरना धर्म कोड दर्ज करने का प्रावधान किया जाए।
मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने वाले झामुमो के प्रतिनिधिमंडल में चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा, तमाड़ विधायक विकास सिंह मुंडा, गुमला विधायक भूषण तिर्की, पोटका विधायक संजीव सरदार, जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी, पूर्व विधायक अमित महतो, पूर्व विधायक जोगेंद्र प्रसाद, रामगढ़ के पार्टी जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू और बोकारो के जिलाध्यक्ष हीरालाल हांसदा शामिल थे।
विनय सतीश
वार्ता