कानपुर, 24 अक्टूबर (वार्ता) वर्ष 2008 में विराट कोहली के नेतृत्व में अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य तन्मय श्रीवास्तव ने क्रिकेट के सभी फार्मेट से संन्यास के फैसले को पूरी तरह तर्कसंगत बताते हुये कहा है कि उन्होंने गंभीरता से विचार करने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहने का निर्णय लिया।
कानपुर के ग्रीनपार्क हास्टल के प्रशिक्षु रहे तन्मय ने शनिवार को यूनीवार्ता से बातचीत में कहा, “यह अचानक लिया हुआ फैसला कतई नहीं है बल्कि मुझे लगता है कि भारतीय क्रिकेट टीम में मेरी संभावनाये न के बराबर हैं वहीं प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी मेरा सफर उतार चढ़ाव से भरा रहा है।
मुझे नहीं लगता कि अब मेरे लिये क्रिकेट में कुछ बचा है।
”
30 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि भविष्य में किसी भी प्रकार से क्रिकेट से जुड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है और न ही वह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट खोलने जा रहे हैं।
अब काफी क्रिकेट हो चुका है और उन्हें अब परिवार पर ध्यान देने की जरूरत है।
देहरादून में ओएनजीसी में कार्यरत तन्मय ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसियेशन से मतभेदों की अटकलों को खारिज करते हुये कहा कि पिछले साल यूपी छोड़कर उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
वास्तविकता यह है कि यूपी में उनकी परफारमेंस में एकरूपता नहीं थी।
उधर,तन्मय के शुरूआती दिनों के साक्षी रहे यूपी के पिच क्यूरेटर शिवकुमार ने बताया कि तन्मय की ग्रीनपार्क हास्टल में एक इंटेलीजेंट क्रिकेटर की पहचान रही है।
वह अच्छी तरह जान चुका है कि उसका भारतीय टीम में चयन सपना मात्र है जबकि आईपीएल में भी फ्रैन्चाइजी ने उसके नाम पर विचार नहीं किया।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उसे यूपी छोड़कर उत्तराखंड जाना पड़ा।
शिवकुमार ने कहा कि तन्मय को शायद उतार चढाव भरे करियर में कोई दिलचस्पी नहीं है और इसीलिये उसने सही समय पर सही फैसला लिया।
यूपी में उसका करियर राजनीति की भेंट चढ़ गया।
यूपी की ओर से 70 से अधिक मैच खेलने वाले इस बल्लेबाज से एसोसियेशन ने पल्ला झाड़ लिया।
हालांकि प्रतिभा के धनी क्रिकेटर को उत्तराखंड में जगह मिल गयी।
तन्मय के पिता मनोज श्रीवास्तव पंजाब नेशनल बैंक लखनऊ में कार्यरत है।
बेहद शालीन स्वाभाव के पिता की तरह तन्मय भी युवा क्रिकेटरों के लिये मददगार साबित रहा है।
हालांकि स्टार क्रिकेटर की इस अंदाज में विदाई क्रिकेट प्रशंसकों को जरूर अखरेगी।
वर्ष 2006 में उत्तर प्रदेश की टीम में पदार्पण करने वाले बायें हाथ के सलामी बल्लेबाज तन्मय ने 90 प्रथम श्रेणी मैचों में 34.39 के औसत से 4918 रन बनाये हैं जिसमें उसके दस शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं।
वह आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स और किंग्स इलेवन पंजाब का प्रतिनिधित्व कर चुका है।
वह मलेशिया में 2008 में खेले गए अंडर-19 विश्व कप में 262 रन के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर थे।
टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में तन्मय ने 43 रन का अहम योगदान दिया था जिसकी बदौलत भारत विश्वकप को अपनी झोली में डालने में सफल रहा था।
प्रदीप राज
वार्ता
कानपुर, 24 अक्टूबर (वार्ता) वर्ष 2008 में विराट कोहली के नेतृत्व में अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य तन्मय श्रीवास्तव ने क्रिकेट के सभी फार्मेट से संन्यास के फैसले को पूरी तरह तर्कसंगत बताते हुये कहा है कि उन्होंने गंभीरता से विचार करने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहने का निर्णय लिया।
कानपुर के ग्रीनपार्क हास्टल के प्रशिक्षु रहे तन्मय ने शनिवार को यूनीवार्ता से बातचीत में कहा, “यह अचानक लिया हुआ फैसला कतई नहीं है बल्कि मुझे लगता है कि भारतीय क्रिकेट टीम में मेरी संभावनाये न के बराबर हैं वहीं प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी मेरा सफर उतार चढ़ाव से भरा रहा है।
मुझे नहीं लगता कि अब मेरे लिये क्रिकेट में कुछ बचा है।
”
30 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि भविष्य में किसी भी प्रकार से क्रिकेट से जुड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है और न ही वह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट खोलने जा रहे हैं।
अब काफी क्रिकेट हो चुका है और उन्हें अब परिवार पर ध्यान देने की जरूरत है।
देहरादून में ओएनजीसी में कार्यरत तन्मय ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसियेशन से मतभेदों की अटकलों को खारिज करते हुये कहा कि पिछले साल यूपी छोड़कर उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
वास्तविकता यह है कि यूपी में उनकी परफारमेंस में एकरूपता नहीं थी।
उधर,तन्मय के शुरूआती दिनों के साक्षी रहे यूपी के पिच क्यूरेटर शिवकुमार ने बताया कि तन्मय की ग्रीनपार्क हास्टल में एक इंटेलीजेंट क्रिकेटर की पहचान रही है।
वह अच्छी तरह जान चुका है कि उसका भारतीय टीम में चयन सपना मात्र है जबकि आईपीएल में भी फ्रैन्चाइजी ने उसके नाम पर विचार नहीं किया।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उसे यूपी छोड़कर उत्तराखंड जाना पड़ा।
शिवकुमार ने कहा कि तन्मय को शायद उतार चढाव भरे करियर में कोई दिलचस्पी नहीं है और इसीलिये उसने सही समय पर सही फैसला लिया।
यूपी में उसका करियर राजनीति की भेंट चढ़ गया।
यूपी की ओर से 70 से अधिक मैच खेलने वाले इस बल्लेबाज से एसोसियेशन ने पल्ला झाड़ लिया।
हालांकि प्रतिभा के धनी क्रिकेटर को उत्तराखंड में जगह मिल गयी।
तन्मय के पिता मनोज श्रीवास्तव पंजाब नेशनल बैंक लखनऊ में कार्यरत है।
बेहद शालीन स्वाभाव के पिता की तरह तन्मय भी युवा क्रिकेटरों के लिये मददगार साबित रहा है।
हालांकि स्टार क्रिकेटर की इस अंदाज में विदाई क्रिकेट प्रशंसकों को जरूर अखरेगी।
वर्ष 2006 में उत्तर प्रदेश की टीम में पदार्पण करने वाले बायें हाथ के सलामी बल्लेबाज तन्मय ने 90 प्रथम श्रेणी मैचों में 34.39 के औसत से 4918 रन बनाये हैं जिसमें उसके दस शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं।
वह आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स और किंग्स इलेवन पंजाब का प्रतिनिधित्व कर चुका है।
वह मलेशिया में 2008 में खेले गए अंडर-19 विश्व कप में 262 रन के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर थे।
टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में तन्मय ने 43 रन का अहम योगदान दिया था जिसकी बदौलत भारत विश्वकप को अपनी झोली में डालने में सफल रहा था।
प्रदीप राज
वार्ता