The News Scroll 01 June 2021  Last Updated at 1:15 pm | स्रोत : वार्ता

उर्दू को आसानी से समझने के लिए रेख्ता फ़ाउंडेशन ने की रेख्ता शब्दकोश की रचना

नयी दिल्ली, 01 जून (वार्ता) रेख्ता फ़ाउंडेशन ने उर्दू सीखने और समझने को आसान करने के लिए रेख्ता शब्दकोश की रचना की है जो तीन भाषाओं उर्दू, हिंदी और अंग्रेज़ी में है और इसे दुनिया के किसी भी जगह निःशुल्क प्रयोग किया जा सकता है।

रेख्ता फ़ाउंडेशन के संजीव सर्राफ़ ने बताया कि पिछले कुछ सालों में देश में उर्दू और शायरी के चाहने वालों की तादाद में काफी तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है और इसका प्रभाव दुनिया भर में फैली है।

उन्होंने बताया कि जहां कुछ लोग उर्दू भाषा से बतौर पाठक और श्रोता जुड़े हुए हैं, वहीं कई ऐसे भी हैं जिनकी उर्दू की ओर रुचि, भाषा और लिपि को सीखने समझने, शायरी करने, शोध और कई दूसरी वजहों से हैं।

ऐसा समय किसी भी भाषा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और एक विस्तृत शब्दकोश उसकी ज़रूरत बन जाती है।

उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा शब्दकोश के मामले में ग़रीब भाषा रही है।

उर्दू भाषा से मुहब्बत करने वाले ज़्यादातर लोग इसकी लिपि से जानकारी नहीं रखते हैं।

यह हैरत की बात है कि इस वास्तविकता को जानते हुए भी अब तक कोई भी विस्तृत काम नहीं किया गया था।

रेख्ता फाउंडेशन की वर्चुअल डिक्शनरी इस क़िस्म का पहला ऐसा काम है जो तीन भाषाओं और लिपियों में उपलब्ध है।

दुनिया के किसी कोने से बिना शुल्क इस्तेमाल की जा सकने वाली यह डिक्शनरी rekhtadictionary.com पर उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि रेख़्ता शब्दकोश को हम ऊर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी का शब्दकोश कह सकते हैं।

इसमें हमें बस उस शब्द पर क्लिक करना होता है जिसे हम तलाश करना चाहते हैं।

किसी भी लफ्ज़ पर महज़ एक क्लिक करने से यूज़र के सामने उस लफ्ज़ की दुनिया खुल जाती है जहां तीन भाषाओं उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी और तीन लिपियों- नस्तालीक़, देवनागरी, रोमन, में उनके मतलब उपलब्ध हैं।

डिजिटल होने की वजह से इस डिक्शनरी में सभी लफ़्ज़ों का साफ़ साफ़ उच्चारण सुना जा सकता है और उनके उर्दू, हिन्दी और रोमन लिपियों में स्पेलिंग्स भी मौजूद हैं।

उर्दू में आम तौर पर मात्राओं के इस्तेमाल का रिवाज कम है जिससे नए सीखने वालों को उच्चारण में परेशानी होती है लेकिन हिन्दी और अंग्रेज़ी लिपियों की मदद से वो साफ़ लहजे में शब्द को अदा कर सकते हैं।

इस शब्दकोश में पुरानी परम्परा की तरह तलाश किया जाने वाला शब्द शायरों ने किस तरह बाँधा है, उसकी आधुनिक और क्लासीकी मिसालें भी लिखी गई हैं।

शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई, वह कहाँ से चला और वक़्त के साथ उसने कैसे-कैसे रूप बदले, इनकी भी जानकारी इस शब्दकोश में विस्तृत रूप में मौजूद है।

तलाश किए जाने वाले शब्द से मिलते-जुलते अल्फ़ाज़ या उनके विलोम शब्द भी लिखे गए हैं।

भाषा में तीखापन घोल देने वाली कहावतें, लोकोत्तियां और रोज़मर्रा के रंग-ढंग भी इस इसमें लिखे गए हैं।

रेख़्ता डिक्शनरी में हर लफ्ज़ के विभिन्न परतों पर काम किया गया है जहां समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग अपनी ज़रूरतों और दिलचस्पियों के मुताबिक़ इससे लाभ उठा सकते हैं।

आजाद, संतोष वार्ता


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