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मजदूरों के पलायन पर बोलीं प्रिंयका- हमें शर्म आनी चाहिए कि हमने इन्हें इस हाल में छोड़ दिया

 देश में 21 दिनों तक लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद सड़क और रेल यातायाद बंद हो गए हैं। ऐसे में...
मजदूरों के पलायन पर बोलीं प्रिंयका- हमें शर्म आनी चाहिए कि हमने इन्हें इस हाल में छोड़ दिया

 देश में 21 दिनों तक लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद सड़क और रेल यातायाद बंद हो गए हैं। ऐसे में दिल्ली-राजस्थान और हरियाणा आदि से यूपी और बिहार जाने वाले मजदूरों का पलायन जारी है। तमाम प्रयासों के बाद भी हजारों की संख्या में प्रवासी श्रमिक भूखे-प्यासे घर वापसी को मीलों पैदल चल रहे हैं। इस बीच यूपी कांग्रेस ने प्रवासियों का वीडियो जारी कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा है। साथ ही, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी प्रवासी मजदूरों की मदद करने की अपील की है।

बता दें कि देश में अब तक कोरोना वायरस के करीब 900 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 20 लोग इससे जान गंवा चुके हैं। लॉकडाउन के चलते दूसरे शहरों से आए लोग अपने शहरों की ओर बढ़ रहे हैं, जिसके कारण दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर पलायन करने वालों की भीड़ देखने को मिल रही है। साथ ही, गाजियाबाद में नेशनल हाइवे-24 के पास भी हजारों लोगों की भीड़ दिख रही है।  

....इनके पैरों को घर गांव की ओर धकेल रहा

प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘ दिल्ली के बॉर्डर पर त्रासद स्थिति पैदा हो चुकी है, हजारों की संख्या में लोग पैदल अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं। कोई साधन नहीं, भोजन नहीं। कोरोना का आतंक, बेरोजगारी और भूख का भय इनके पैरों को घर गांव की ओर धकेल रहा है। मैं सरकार से प्रार्थना करती हूं कृपया इनकी मदद कीजिए।'
मजदूर देश की रीढ़ की हड्डी है, कृपया इनकी मदद करिए
इसके अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लॉकडाउन के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'हमें शर्म आनी चाहिए कि हमने इन्हें इस हाल में छोड़ दिया है। ये हमारे अपने हैं। मजदूर देश की रीढ़ की हड्डी है। कृपया इनकी मदद करिए।'

लॉकडाउन का आज चौथा दिन

बता दें कि लॉकडाउन का आज चौथा दिन है। देशभर में कारोबारी गतिविधियां रुक गईं। दिल्ली-एनसीआर के भी तमाम प्रतिष्ठान बंद पड़े हैं। यहां बिहार, यूपी, बंगाल से आए ज्यादातर लोग छोटी-छोटी नौकरियां करते हैं या फिर रेहड़ी-पटरी पर अपना छोटा-छोटा रोजगार चलाते हैं। एक बड़ी संख्या रिक्शा और ऑटो चालकों की भी है। लॉकडाउन के बाद इन सबके सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो चुकी है। ऐसे में इनमें किसी तरह घर पहुंचने की होड़ मची है। चूंकि लॉकडाउन में उड़ानों से लेकर ट्रेनें और रोड ट्रांसपोर्ट, सब बंद पड़े हैं, ऐसे में पैदल चलने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।

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