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परेश रावल ही नहीं, ये पांच दिग्गज भी दोबारा चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सके

फिल्म अभिनेता और भाजपा सासंद परेश रावल इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी की ओर से इसकी पुष्टि...
परेश रावल ही नहीं, ये पांच दिग्गज भी दोबारा चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सके

फिल्म अभिनेता और भाजपा सासंद परेश रावल इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी की ओर से इसकी पुष्टि कर दी गई है। साल 2014 में परेश रावल अहमदाबाद ईस्ट लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर राजनीति में पदार्पण किए थे। रावल का कहना है कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की अपनी इच्छा पार्टी को कई महीने पहले जाहिर कर दी थी। हालांकि परेश रावल ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा नहीं की है। एक बार चुनाव लड़ने के बाद दोबारा चुनाव लड़ने से तौबा करने वालों में परेश रावल कोई अकेले हस्ती नहीं हैं। फिल्म, खेल और सामाजिक क्षेत्रों से कई ऐसे लोग सियासत में आए लेकिन जल्द ही यूटर्न लेते दिखाई दिए। 

सिनेमा-खेल और समाजिक क्षेत्रों से आए कई नायक आज भी राजनीति में चमक रहे हैं। जबकि कई दिग्गज  राजनीति का स्वाद चखकर अपने कदम पीछे खींच लिए। राजनीति उन्हें रास नहीं आई। आइए, उन दिग्गजों के बारे में जानते हैं, जो दोबारा चुनाव लड़ने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए-

मोहम्मद कैफ

क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी रहे मोहम्मद कैफ भी राजनीति के मैदान में दो-दो हाथ कर चुके हैं। हालांकि यहां वे कुछ खास रंग नहीं जमा सके। लिहाजा उन्होंने अपने सियासी करियर को अलविदा कह दिया। 37 वर्षीय क्रिकेटर साल 2014 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। यहां उनका मुकाबला वर्तमान में यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से था। जिसमें मौर्य को पांच लाख से अधिक वोट मिले थे, वहीं कैफ करीब 58 हजार वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे।

इरोम शर्मिला

आफस्पा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहीं सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने भी राजनीति में आने का फैसला लिया था। लोकसभा चुनाव 2014 में मणिपुर के थोबल सीट से मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली शर्मिला चौथे स्थान पर रहीं। उन्हें महज 90 मत मिले। शर्मिला की नवगठित पार्टी के दो अन्य उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हो गयी है।

मणिपुर विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि वह राजनीति छोड़ देंगी लेकिन राज्य में आफस्पा के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगी। शर्मिला ने कहा, ‘मै इस राजनीतिक प्रणाली से आजीज आ चुकी हूं। मैंने सक्रिय राजनीति छोड़ने का फैसला लिया है। लेकिन मैं आफस्पा के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी, जब तक वह हटा ना लिया जाए. मैं सामाजिक कार्यकर्ता की भांति लड़ती रहूंगी।’

अमिताभ बच्चन

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी सियासत में हाथ आजमा चुके हैं। हांलाकि फिल्मों की उनकी यंग्र्री यंग मैन की छवि यहां कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी। लिहाजा क्षेत्र छोड़कर फिर पुरानी जगह लौटना पड़ा। 1984 में अपने दोस्त राजीव गांधी के कहने पर सियासत में आए। 8वीं लोकसभा के लिए इलाहाबाद से चुनाव लड़ा। जाने-माने नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को ऐतिहासिक अंतर से हराया। लेकिन बोफोर्स मामले में विवाद खड़ा होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया और 'राजनीति मेरे लिए नहीं बनी है' जैसे बयान देते हुए इससे किनारा कर लिया।

धर्मेंद्र

हीमैन के नाम से मशहूर धर्मेन्द्र भी खुद को सियासत में आने से नहीं रोक सके। 2004 में भाजपा के टिकट पर उन्होंने बीकानेर से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्हें जीते भी मिली। हालांकि वे भी बाद में राजनीति के रास न आने पर कई बार इससे किनारा करने की इच्छा जता चुके हैं।

गोविंदा

अपने डांस और अदाकारी से सबका मन मोह लेने वाले गोविंदा भी राजनीति से अछुते नहीं रहे। 2004 में कांग्रेस पार्टी से जुड़े। अपने पहले ही प्रयास में लोकसभा के चुनाव में पांच बार से लगातार सांसद रहे प्रतिद्वंद्वी को बड़े अंतर से हराया। वे अपने विवादित बयानों की वजह से छाए रहे। संसद सत्र में शामिल होने से लेकर चुनाव क्षेत्र में कामकाज को लेकर उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। 20 जनवरी, 2008 को आखिरकार राजनीति से संन्यास लेकर फिर रूपहले पर्दे की ओर लौट गए।

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