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सीएम बनते ही एक्शन में कमलनाथ, दो लाख रुपए तक किसानों का कर्ज माफ करने का आदेश

मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई है। कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने राज्य के 18वें...
सीएम बनते ही एक्शन में कमलनाथ, दो लाख रुपए तक किसानों का कर्ज माफ करने का आदेश

मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई है। कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने राज्य के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। साथ ही वह मुख्यमंत्री बनते ही एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने किसानों के दो लाख रुपए तक के कर्ज को माफ करने की मंजूरी दे दी। इसके पहले चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने राज्य में दस दिनों के अंदर कर्जमाफी का वादा किया था। 

हालांकि इसको लेकर पूरी तस्वीर धीरे-धीरे साफ होगी। आदेश के अनुसार राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकों में अल्पकालीन फसल ऋण के रूप में शासन द्वारा पात्रता अनुसार किसानों के 2 लाख की सीमा तक का 31 मार्च 2018 की स्थिति में बकाया फसल ऋण माफ किया गया है।

राज्य कृषि विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश राजौरा ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय और कोऑपरेटिव बैंक से किसानों के 2 लाख तक के कर्ज को माफ करने का निर्णय लिया है।

शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए कई दिग्गज

राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश में भी शपथ ग्रहण समारोह में एक बार फिर विपक्षी एकता दिखाने की कोशिश हुई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई पार्टियों के दिग्गज नेता यहां पहुंचे। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए और उन्होंने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ उठाकर अभिवादन भी किया।

राजस्थान में शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। इसके अलावा विपक्षी दल के नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी मौजूद रहे। आम आदमी पार्टी की तरफ से संजय सिंह को शामिल होना था लेकिन वह नहीं पहुंचे।

कमलनाथ का राजनीतिक सफर

कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज राजनेताओं में होती है। मध्य प्रदेश ने देश को जितने भी नामी राजनेता दिए हैं उनमें से एक कमलनाथ भी हैं। 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मशहूर दून स्कूल से हुई। दून स्कूल में उनकी दोस्ती संजय गांधी से हुई। दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम किया। 27 जनवरी 1973 को कमलनाथ अलका नाथ के साथ शादी के बंधन में बंधे। कमलनाथ के दो बेटे हैं। उनका बड़ा बेटा नकुलनाथ राजनीति में सक्रिय है।

34 साल की उम्र में जीता पहला चुनाव

कमलनाथ 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। वह साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीते जो अब तक जारी है। कमलनाथ 1985, 1989, 1991 में लगातार चुनाव जीते। 1991 से 1995 तक उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्रालय संभाला। वहीं 1995 से 1996 तक वे कपड़ा  मंत्री रहे। छिंदवाड़ा के वोटर्स ने कमलनाथ को सिर्फ एक बार निराश किया है जब 1997 में उन्हें पूर्व सीएम सुंदर लाल पटवा के हाथों हार मिली थी। 1996 में कमलनाथ की जगह उनकी पत्नी चुनाव लड़ी थीं और जीत मिली थी।

यूपीए के दो बार के कार्यकाल में बने कैबिनेट मंत्री

1998 और 1999 के चुनाव में भी कमलनाथ को जीत मिली। लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया। वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे। छिंदवाड़ा में तो जीत का दूसरा नाम कमलनाथ हो गए और 2004 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की। यह लगातार उनकी 7वीं जीत थी।  गांधी परिवार का सबसे करीबी होने का इनाम भी उनको मिलता रहा और इस बार मनमोहन सिंह की सरकार में वे फिर मंत्री बने और इस बार उन्हें वाणिज्य मंत्रालय मिला।

उन्होंने यूपीए-1 की सरकार में पूरे 5 साल तक यह अहम मंत्रालय संभाला। इसके बाद 2009 में चुनाव हुआ और एक बार फिर कांग्रेस का यह दिग्गज नेता लोकसभा के लिए चुना गया। मनमोहन सिंह की सरकार में इनको सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिला। साल 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने।

मध्य प्रदेश में मिली थी अहम जिम्मेदारी

कमलनाथ की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जो संकट के समय में भी पार्टी के साथ हमेशा रहे। चाहे वो राजीव गांधी का निधन हो, 1996 से लेकर 2004 तक जिस संकट से कांग्रेस गुजर रही थी, इस दौरान भी वह पार्टी के साथ रहे वो भी तब जब शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था। 26 अप्रैल 2018 को वह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें अरुण यादव की जगह अध्यक्ष बनाया गया।

इंदिरा गांधी मानती थीं तीसरा बेटा

एक बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लड़ रहे कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं। इंदिरा ने तब चुनावी रैली में लोगों से कहा था, 'कमलनाथ मेरे लिए तीसरे बेटे जैसे हैं। कृपया उन्हें वोट दीजिए।'

साल 1979 में कमलनाथ ने मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबला करने में कांग्रेस की मदद की थी। कमलनाथ संजय गांधी के हॉस्टलमेट थे और आपातकाल के बाद मोरारजी देसाई की सरकार में उनके लिए जेल भी गए थे। 39 साल बाद 72 साल के कमलनाथ ने अब इंदिरा गांधी के पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दमदार भूमिका निभाई है।

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