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कांग्रेस ने कैसे फेल की शाह की रणनीति, कॉल रिकॉर्डिंग ने बड़ी भूमिका निभाई

कर्नाटक की सियासी लड़ाई में कांग्रेस-जेडीएस को बड़ी जीत मिली है। भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को...
कांग्रेस ने कैसे फेल की शाह की रणनीति, कॉल रिकॉर्डिंग ने बड़ी भूमिका निभाई

कर्नाटक की सियासी लड़ाई में कांग्रेस-जेडीएस को बड़ी जीत मिली है। भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के ढाई दिन बाद ही फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा। आम तौर पर माना जा रहा था कि 104 सीटों वाली भाजपा जोड़तोड़ के बाद सरकार बना लेगी। इस ओर भाजपा के कदम भी बढ़ गए थे। उन्हें राज्यपाल की ओर से सरकार बनाने का न्योता और बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिन का भरपूर वक्त मिल गया था। लेकिन कांग्रेस की रणनीति, कानूनी लड़ाई के आगे भाजपा पस्त होती दिखी। जब कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया तब अदालत ने 15 दिन को 24 घंटे में बदल दिया... फिर क्या था.. सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही भाजपा सदन में बगैर परीक्षा दिए ही वहां से निकल गई।

पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें तो पता चलता है कि भाजपा के ‘चाणक्य’ अमित शाह की रणनीति कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक के आगे कमजोर पड़ गई। जेडीएस से गठबंधन से लेकर, अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए कॉल रिकॉर्ड तक और सियासी लड़ाई से लेकर कानूनी लड़ाई तक की युक्ति अपनाने में कांग्रेस सफल रही।

पहली सफलता

कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने मतदान के बाद और मतगणना से पहले गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत, के सी वेणुगोपाल, सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार से दिल्ली में लंबी बैठक की। राहुल ने यहां रणनीति के तहत प्लान बी तैयार किया था। त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में क्या कदम उठाने होंगे, इसे लेकर सिद्धारमैया के साथ उनकी बातचीत हुई। इस दौरान सिद्धारमैया को एचडी कुमारस्वामी को बिना शर्त समर्थन देने के लिए राजी किया गया।

सभी पांच एआईसीसी सचिव मणिका टैगोर, पीसी विष्णुनाथ, मधु यशकी गौड, सेक सैलजानाथ और यशोमती ठाकुर को मतगणना के दिन आवंटित क्षेत्रों में रहने के लिए कहा गया था। आजाद, गहलोत और वेणुगोपाल बेंगलुरू में तैनात थे। सचिवों से प्रत्येक विधायकों से संपर्क करने और बेंगलुरू जाने के लिए कहा गया था।

हुआ भी यूं कि जनादेश त्रिशंकू आया और कांग्रेस ने बिना देरी किए जेडीएस को समर्थन दे दिया। कांग्रेस ने एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का वादा भी कर दिया। जेडीएस ने कांग्रेस का समर्थन स्वीकार करते हुए सरकार बनाने का दावा किया। इस तरह वे 78+38= 116 हो गए।

दूसरी सफलता

कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन ने 15 मई को सरकार बनाने का दावा किया था। लेकिन इस दौरान यह स्पष्ट हो गया कि बीएस येदियुरप्पा राज्यपाल वजूभाई से औपचारिक पत्र के साथ मिल चुके थे। ऐसे में उन्हें पहले मौका दिया जा सकता है।इसे लेकर शीर्ष कांग्रेस नेता दिल्ली में मिले और फैसला किया कि पार्टी को तत्काल कानूनी लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए। रात 9.30 बजे, राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। घोषणा की कि वह अगले दिन सुबह 9 बजे शपथ लेंगे। राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को 15 दिन का समय दिया। इसके खिलाफ कांग्रेस-जेडीएस की ओर से एएम सिंघवी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एसके बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की थी। गुरुवार देर रात दो बजकर 11 मिनट से सुबह पांच बजकर 28 मिनट तक यह सुनवाई चली। उसके बाद शुक्रवार को भी सुबह 10: 30 बजे से सुनवाई चली थी।

कांग्रेस और जेडीएस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि राज्यपाल द्वारा बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के फैसले को रद्द किया जाए या फिर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए न्योता दें क्योंकि उनके पास बहुमत के लिए जरूरी 112 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।

तीन जजों की बैंच ने शनिवार 4 बजे बहुमत परीक्षण कराने, तुरंत प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने, सभी चुने गए विधायकों को शपथ दिलाने, विधायकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने और बहुमत साबित न होने तक येदियुरप्पा द्वारा कोई अहम नीतिगत निर्णय न लिए जाने को कहा।

अदालत ने बहुमत परीक्षण तक कर्नाटक विधानसभा में किसी एंग्लो इंडियन विधायक को मनोनीत करने से भी मना किया।

कोर्ट के इस फैसले से जोड़तोड़ का वक्त बिल्कुल नहीं मिल पाया और ये एक तरह से कांग्रेस-जेडीएस के लिए बड़ी जीत साबित हुई।

तीसरी सफलता

एक तरफ जहां कानूनी लड़ाई चल रही थी इसके समानांतर ही बेंगलुरु में कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने की कवायद भी चल रही थी। पहले विधायकों को ईगलटन रिजॉर्ट में ले जाया गया। विधायकों को दस के समूहों में बांटा गया था। और एक-एक वरिष्ठ नेताओँ को उन समूहों का प्रभार दिया गया था। इनमें केजे जॉर्ज, डीके सुरेश कुमार, आर ध्रुवनारायण, एमबी पाटिल शामिल थे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बेंगलुरू के जिस रिसॉर्ट में उनके विधायक रुके थे, उनको वहां धमकाया जा रहा था और भाजपा के पक्ष में पाला बदलने के लिए कहा जा रहा था। कांग्रेस ने उनसे कहा है कि वह कॉल रिकॉर्ड करने वाले ऐप डाउनलोड कर लें। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक वरिष्ठ नेता का कहना था, "विधायकों को सभी प्रकार के प्रस्ताव मिल रहे थे। हमने रिकॉर्ड किए गए कॉल का दसवां हिस्सा भी जारी नहीं किया है..." उन्होंने कहा।

बीएस येदियुरप्‍पा के मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने अपने विधायकों को 17 मई की रात हैदराबाद शिफ्ट कर दिया। यहां भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि उन्हें चार्टर्ड उड़ान के लिए अनुमति नहीं मिली। हालांकि डीजीसीए ने कहा कि चार्टर्ड उड़ानों को किसी भी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

कांग्रेस ने तब सड़क के रास्ते हैदराबाद जाने का फैसला किया गया। कांग्रेस के नेताओं के लिए, तेलंगाना पुलिस के वाहन उन्हें सीमा पर इंतजार कर रहे थे ताकि उन्हें होटल में सुरक्षित रूप से पहुंचाया जा सके।

कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा से अपने विधायकों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। उन्हें चार दिनों तक कड़ी निगरानी में रखा। जहां रातोंरात कांग्रेस ने अपने विधायकों को बस के जरिए हैदराबाद पहुंचाया। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दूसरे दिन ही उन विधायकों को हैदराबाद से ‌फिर बेंगलूरू वापस लाया गया।

चौथी सफलता

भाजपा विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के खिलाफ कांग्रेस-जनता दल (एस) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।  हालांकि इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया ले‌किन कार्यवाही का सीधा प्रसारण करवाने की व्यवस्था करवाकर कई गड़बड़ियों की आशंका को दूर किया।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विश्वासमत हासिल करने के दौरान विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा। ऐसा होने से पारदर्शिता बनी रहेगी।

पांचवी सफलता

कॉल रिकॉर्ड ऐप्प का तो कांग्रेस ने भरपूर लाभ उठाया। साथ ही पार्टी ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे विजयेन्द्र येदियुरप्पा पर ऑडियो वार किया। कांग्रेस की ओर से तीन ऑडियो क्लिप जारी किए गए जिसमें दो ऑडियो क्लिप के आधार पर येदियुरप्पा और उनके बेटे पर गंभीर आरोप लगाए गए। कथित तौर पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा कांग्रेस विधायक बीसी पाटिल को भाजपा के पक्ष में वोट करने के लिए लालच दे रहे हैं। कथित ऑडियो टेप में येदियुरप्पा, बीसी पाटिल को कह रहे हैं कि '' कोच्चि मत जाइए, हम आपको मंत्री बना देंगे और आप जो चाहते हैं, हर तरह से हम आपकी मदद करेंगे। इस पर पाटिल कहते हैं कि ठीक है, लेकिन इसके आगे क्या।

वहीं, उनके बेटे विजयेंद्र येदियुरप्पा और कांग्रेस विधायक श्रीराम हेब्बर की पत्नी के बीच की बातचीत कथित तौर पर रिकॉर्ड है। इस ऑडियो में विजयेंद्र येदियुरप्पा कांग्रेस विधायक की पत्नी को लालच देते हुए सुने जा सकते हैं।

माना जा रहा है कि कांग्रेस ने कॉल रिकॉर्ड ऐप्प के जरिए टूट की संभावनाओं को खारिज किया और अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में कामयाबी पाई।

 

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