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जामिया लाइब्रेरी के वीडियो पर प्रियंका गांधी ने कहा- गृह मंत्री और पुलिस ने बोला झूठ बोला

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को जामिया के छात्रों को लाइब्रेरी में कथित तौर पर...
जामिया लाइब्रेरी के वीडियो पर प्रियंका गांधी ने कहा- गृह मंत्री और पुलिस ने बोला झूठ बोला

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को जामिया के छात्रों को लाइब्रेरी में कथित तौर पर पुलिस द्वारा पिटाई करते हुए एक वीडियो साझा किया है। उन्होंने कहा है कि जामिया में हुई हिंसा को लेकर अगर किसी पर कार्रवाई नहीं की जाती तो सरकार की नीयत पूरी तरह से देश के सामने आ जाएगी। साथ ही उन्होंने गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस पर "झूठ बोलने" का आरोप भी लगाया है कि लाइब्रेरी के भीतर जामिया के छात्रों की पिटाई नहीं की गई थी।

प्रियंता गांधी मे अपने ट्वीट में लिखा, 'देखिए कैसे दिल्ली पुलिस छात्रों को अंधाधुंध पीट रही है। एक लड़का किताब दिखा रहा है, लेकिन पुलिसवाला लाठियां चलाए जा रहा है। गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने झूठ बोला कि उन्होंने लाइब्रेरी में घुसकर किसी को नहीं पीटा।'

48 सेकेंड का है वीडियो

जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की तरफ से सोशल मीडिया पर जारी किए गए इस 48 सेकेंड के वीडियो में अर्द्धसैनिक बल और पुलिस ओल्ड रीडिंग हॉल में प्रवेश करते और छात्रों को लाठी से पीटते हुए दिख रहे हैं। अर्धसैनिक और पुलिस के जवान भी रूमाल से अपना चेहरा ढंकते हुए दिखाई दे रहे हैं। वाड्रा ने ट्वीट में कहा, "गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस ने झूठ बोला कि छात्रों को लाइब्रेरी में नहीं पीटा गया था।" उन्होंने कहा कि अगर जामिया के इस वीडियो को देखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो सरकार की मंशा पूरे देश के सामने आ जाएगी।

येचुरी ने अमित शाह पर उठाए सवाल

सीपीआई-एम के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी घटना को लेकर पुलिस की निंदा की है। उन्होंने कहा, "अमित शाह द्वारा छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का हर बचाव असत्य, भ्रामक और राजनीति से प्रेरित है। दिल्ली पुलिस सीधे मोदी-शाह के तहत आती है और यह बताता है कि किस तरह से लाइब्रेरी में पढ़ने वाले युवा छात्रों के साथ व्यवहार किया जाता है।"

पुलिस ने कहा- करेंगे जांच

वहीं, स्पेशल कमिश्नर (क्राइम) प्रवीर रंजन ने कहा कि हमने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी (लाइब्रेरी) के ताजा वीडियो को संज्ञान में लिया है, जो अभी वायरल हो रहा है। हम इसकी जांच करेंगे।

बता दें कि विश्वविद्यालय 15 दिसम्बर को उस समय युद्धक्षेत्र में तब्दील हो गया था, जब पुलिस परिसर के भीतर उन बाहरी लोगों को तलाश करने के लिए घुसी जिन्होंने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शैक्षणिक संस्थान से कुछ दूरी पर हिंसा और आगजनी की थी।लाइब्रेरी में छात्रों पर की गई कथित कार्रवाई के लिए पुलिस को जनाक्रोश का सामना करना पड़ा था। विश्वविद्यालय के एक कानून के छात्र ने आरोप लगाया था कि पुलिस की कार्रवाई के कारण उसे एक आंख गंवानी पड़ी।

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