Advertisement

राफेल डील: दासौ की सफाई पर कांग्रेस का पलटवार- आरोपी की बात का कोई मतलब नहीं

राफेल सौदे पर फ्रांस की कंपनी दासौ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रेपियर की सफाई पर कांग्रेस ने पलटवार किया है।...
राफेल डील: दासौ की सफाई पर कांग्रेस का पलटवार- आरोपी की बात का कोई मतलब नहीं

राफेल सौदे पर फ्रांस की कंपनी दासौ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रेपियर की सफाई पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'पहले से तय इंटरव्यू और झूठ बोलकर राफेल सौदे की सच्चाई दबाई नहीं जा सकती। कानून का पहला नियम- लाभार्थियों और सह-आरोपियों के बयान का कोई मतलब नहीं। दूसरा नियम- लाभ उठाने वाले और आरोपी अपने मामले में खुद जज नहीं हो सकते। सच बाहर आने का रास्ता बना ही लेता है।'

वहीं, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी दासौ के सीईओ पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ‘मैं मिस्टर एरिक ट्रेपियर से पूछना चाहूंगा कि उन्होंने मार्च 2015 में भारतीय वायु सेना चीफ अरूप राहा और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) चीफ की मौजूदगी में यह घोषणा क्यों की थी कि एचएएल और दासौ के बीच समझौता लगभग फाइनल हो गया है।‘

उन्होंने कहा, 'एरिक ट्रेपियर ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि कार्य वितरण समझौता दासौ और एचएएल के बीच हो चुका है। तो उनका कौन सा बयान सही है?'

मैं झूठ नहीं बोलता, हमने अंबानी को खुद ही चुना: एरिक ट्रेपियर

दरअसल दासौ के सीईओ ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में राफेल सौदे को लेकर अपनी बात रखी है। इसमें कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सौदे में लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया और कहा कि वो झूठ नहीं बोलते।

उन्होंने कहा, ‘मैं झूठ नहीं बोलता। जो सच मैंने पहले बोला और जो बयान मैंने दिए वो सब सच हैं। झूठ बोलने के लिए मुझे नहीं जाना जाता। सीईओ की मेरी पोजीशन में आप झूठ नहीं बोलते।‘

ट्रेपियर ने कहा, ‘हमने अंबानी को खुद ही चुना। हमारे पास रिलायंस के अलावा पहले से ही 30 पार्टनर हैं। इंडियन एयर फोर्स डील का समर्थन कर रही है क्योंकि उसे अपनी रक्षा सर्वोच्च रखने के लिए फाइटर प्लेन चाहिए।‘

उन्होंने कहा, 'हम रिलायंस में पैसे नहीं डाल रहे हैं। पैसा दासौ-रिलायंस में जा रहा है। जहां तक डील के इंडस्ट्रियल वाले हिस्से की बात है, वहां दासौ के इंजीनियर और कर्मचारी अगुआई कर रहे हैं।‘

'9 फीसदी कम करने पड़े विमान के दाम'

विमान के दाम पर दासौ के सीईओ ने कहा, '36 फ्लाईअवे का दाम उतना ही है जब आप 18 फ्लाईअवे से इसकी तुलना करते हैं। 18 का दोगुना 36 है। जहां तक मुझे लगता था, दाम भी दोगुने होने चाहिए थे। लेकिन चूंकि यह सरकार से सरकार के बीच समझौता था, मुझे 9 फीसदी दाम कम करने पड़े।‘

'अगले साल सितंबर तक होगी पहली डिलीवरी'

उन्होंने बताया, 'इंडियन एयरफोर्स को पहली डिलीवरी अगले साल सितंबर तक हो जाएगी, जो कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से है। यह पूरी तरह सही समय पर है। मुझे पता है कि कुछ विवाद हुए हैं और मुझे पता है कि यह एक तरह से घरेलू राजनीतिक झगड़ा है। चुनाव के वक्त ऐसा कई देशों में होता है। जो मेरे लिए महत्वपूर्ण है वह सच है और सच यह है कि डील पूरी तरह साफ है और इंडियन एयरफोर्स डील से खुश है।'

हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे

कांग्रेस के आरोपों पर ट्रेपियर ने कहा, 'कांग्रेस के साथ लंबा अनुभव है। भारत के साथ हमारी पहली डील नेहरू के समय 1953 में हुई थी। बाद में दूसरे प्रधानमंत्रियों के साथ हुई। हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं। हम इंडियन एयरफोर्स और भारत सरकार को रणनीतिक प्रोडक्ट मुहैया करा रहे हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण है।‘

कांग्रेस राफेल सौदे में में भारी अनियमितताओं का आरोप लगातार लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपए प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए प्रति राफेल तय हुई थी। कांग्रेस दासौ के ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस डिफेंस के चयन को लेकर भी सरकार को निशाना बना रही है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement