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राफेल को लेकर कैग ने खुद अपना मजाक बनने दिया: चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को राफेल सौदे पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर...
राफेल को लेकर कैग ने खुद अपना मजाक बनने दिया: चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को राफेल सौदे पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि संस्था ने खुद को 'मजाक' बनने दिया है और सौदे से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर देश के लोगों को निराश किया है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट में कोई उपयोगी जानकारी या निष्कर्ष नहीं है और इसका मकसद सच्चाई को छिपाना रहा है। उन्होंने इस सौदे की संयुक्त संसदीय समिति की जांच के लिए अपनी पार्टी की मांग दोहराते हुए कहा कि केवल यही संबंधित रिकॉर्ड मंगा सकती है। उन्होंने भाजपा के इस दावे को सिरे खारिज कर दिया कि इस मुद्दे पर कैग रिपोर्ट ही अंतिम शब्द माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैग कोई भगवान नहीं है।

'रिपोर्ट से मिली निराशा'

चिदंबरम ने कहा कि कैग ने खुद को मजाक बनाने की अनुमति दी और उम्मीद है कि सरकार भविष्य में इस संस्था की गरिमा और प्रतिष्टा को फिर से बनाएगी। उन्होंने कहा कि अगर आप राफेल से जुड़ी कैग रिपोर्ट के 33 पृष्ठों को देखेंगे तो सौदे के कई छिपे पहलुओं के बारे में पता चलेगा। इसमें विमानों की संख्या, कीमत और आपूर्ति के समय जैसे पहलू शामिल हैं। इन्हें पढ़ने के बाद निराशा होगी। उन्होंने कहा, 'कैग रिपोर्ट में क्या लिखा गया है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसमें क्या नहीं लिखा गया। बिना आंकड़ों के आखिरकार कैग ने किसकी लेखा परीक्षा की है।'  

'कई मुद्दों पर मौन है रिपोर्ट'

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पूरी रिपोर्ट में 126 की जगह 36 विमान खरीदने के औचित्य पर कुछ नहीं कहा गया। भारत के लिए किए गए बदलावों के खर्च के हर विमान में जुड़ने से एक विमान की कीमत बढ़ने पर कुछ नहीं कहा गया। कई तरह की गारंटी छोड़े जाने और भ्रष्टाचार संबंधित प्रावधान हटाए जाने पर कुछ नहीं कहा गया। बिना आंकड़ों के कैसे पता चलेगा कि लेखा परीक्षण सही है या नहीं है। इससे बेहतर होता कि लेखा परीक्षक परीक्षण करने से ही इनकार कर देते।

'कीमत का नहीं जिक्र'

बुधवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, 36  लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद के लिए एनडीए सरकार ने फ्रांस की कंपनी दॉसो के साथ जो सौदा किया वह इन विमानों की खरीद के लिए 2007 में की गई तत्कालीन यूपीए सरकार की तुलना में 2.86 फीसदी सस्ता है। हालांकि, रिपोर्ट में इन विमानों की कीमतों का जिक्र नहीं है। लेकिन इसमें इस बात सवाल जरूर खड़ा किया है कि सॉवरेन गारंटी हटाने से केवल फ्रांसीसी निर्माता को फायदा हुआ और भारत का पक्ष कमजोर हुआ है।

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