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गोवा में पर्रिकर की वापसी की तैयारी

भाजपा के तीन नव निर्वाचित विधायकों ने आज कहा कि अगर छोटे दल राज्य में पार्टी का समर्थन करते हैं तो रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सरकार का नेतृत्व करें। वहीं राज्य विधानसभा में तीन सीटें जीतने वाली महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी ने कहा है कि यदि मनोहर पर्रिकर नेतृत्व करते हैं तो एमजीपी गोवा में भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार है।
गोवा में पर्रिकर की वापसी की तैयारी

पार्टी नेता सुदीन धवलीकर ये यह बात कही है। भाजपा विधायक दल ने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पर्रिकर को वापस गोवा भेजने के लिए सहमत किया जाए।

भाजपा के विधायक माइकल लोबो ने पार्टी मुख्यालय के बाहर पत्रकारों से कहा, लोग गोवा में पर्रिकर की वापसी चाहते हैं। अब यह गोवा फारवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी पर निर्भर करता है। अगर वे हमारा समर्थन करते हैं तो हम राज्य में सरकार बनाएंगे। माइकल कलंगुट निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं। उन्होंने कहा कि जीएफपी और एमजीपी के समर्थन करने पर भाजपा गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के समक्ष राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।

भाजपा को 40 सदस्यीय विधानसभा में 13 सीटें हासिल हुई है जबकि उसके समर्थन से एक निर्दलीय ने जीत हासिल की है। अगर तीन-तीन विधायकों वाली एमजीपी और जीएफपी का समर्थन उसे मिलता है तो उसके समर्थकों की संख्या 20 हो जाएगी। एक अन्य निर्दलीय की मदद से पार्टी आराम से सरकार बना सकती है।

दूसरी ओर कांग्रेस 17 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसके समर्थन से एक निर्दलीय को जीत मिली है जिससे उसकी संख्या 18 पर है। अगर जीएफपी का समर्थन उसे मिलता है तो कांग्रेस की सरकार राज्य में बन सकती है।

सांखलीम निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए भाजपा के प्रमोद सावंत ने कहा कि सरकार पर्रिकर के नेतृत्व में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। सावंत ने कहा, उनके नेतृत्व में किए विकास को लोगों ने देखा है। हम नहीं चाहते कि अगले पांच वर्ष तक राज्य परेशानी उठाए। भाजपा के विधायक निलेश्र काब्राल ने कहा कि गोवा के लोगों ने खंडित जनादेश दिया है। कांग्रेस के अलावा सभी पार्टियां पर्रिकर के नेतृत्व में एक साथ आकर काम कर सकती हैं। निलेश काब्राल करकोरम से विधायक चुने गए हैं।

 

काब्राल ने कहा कि सरकार गठन के लिए किसी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है। इस स्थिति में कांग्रेस के अलावा सभी पार्टियां पर्रिकर के नेतृत्व में राज्य के कल्याण के लिए एकजुट हो सकती हैं।

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