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पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने को लेकर भारतीय, चीनी कमांडरों के बीच वार्ता आज

भारत और चीन की सेनाओं के बीच आज वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) के चीन की तरफ में मोल्दो में कोर...
पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने को लेकर भारतीय, चीनी कमांडरों के बीच वार्ता आज

भारत और चीन की सेनाओं के बीच आज वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) के चीन की तरफ में मोल्दो में कोर कमांडर-स्तर की वार्ता होगी। यह जानकारी भारतीय सेना के सूत्रों ने दी है। इस बैठक में भारत का फोकस फिंगर एरिया से चीन द्वारा पूरी तरह से डिसएंगेजमेंट होगा।

भारत और चीनी सेना के कमांडर पूर्वी लद्दाख में पेगोंग झील जैसे टकराव वाले स्थानों से पीछे हटने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए आज नए सिरे से बातचीत करेंगे।

सरकारी सूत्रों के अनुसार यह बैठक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोलदो में निर्धारित बैठक स्थल पर रविवार सुबह 11 बजे के लिए तय हुई है।

सूत्रों म मुताबिक कोर कमांडर स्तर की पांचवे चरण की वार्ता में मुख्य ध्यान टकराव वाले स्थानों से सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने और दोनों सेनाओं के पीछे के अड्डों से बलों एवं हथियारों को हटाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर केंद्रित होगा।

सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया 6 जुलाई को शुरू हुई थी जब इलाके में तनाव कम करने के तरीकों पर एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लगभग 2 घंटे फोन पर बातचीत हुई।

चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य जगहों से पहले ही पीछे हट चुकी है लेकिन भारत की मांग के मुताबिक पेगोंग सो में फिंगर इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।

भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि चीन को फिंगर फोर और फिंगर एट के बीच वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। दोनों पक्षों के मध्य 24 जुलाई को, सीमा मुद्दे पर एक और चरण की कूटनीतिक वार्ता हुई थी।

वार्ता के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के तहत नियंत्रण रेखा के पास से सैनिकों का जल्द एवं पूरी तरह पीछे हटना आवश्यक है। सूत्रों ने कहा कि भारत ने चीन को एक सख्त संदेश दे दिया है कि उसे पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करना ही होगा जैसा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की चौथे चरण की वार्ता में निर्धारित हुआ है।

 

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