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अमेरिकी संसद ने ग्रीन कार्ड पर लगाई गई सीमा हटाई, जानें क्यों है अहम

अमेरिकी सांसदों ने ग्रीन कार्ड जारी करने पर मौजूदा सात फीसदी की सीमा को हटाने के उद्देश्य से बुधवार को...
अमेरिकी संसद ने ग्रीन कार्ड पर लगाई गई सीमा हटाई, जानें क्यों है अहम

अमेरिकी सांसदों ने ग्रीन कार्ड जारी करने पर मौजूदा सात फीसदी की सीमा को हटाने के उद्देश्य से बुधवार को एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक से भारत के हजारों उच्च कुशल आईटी पेशेवरों को लाभ मिलेगा। ग्रीन कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता है।

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित यह विधेयक भारत जैसे देशों के उन प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए फायदेमंद है जो अमेरिका में स्थायी रूप से काम करने और रहने की अनुमति चाहते हैं।

फेयरनेस ऑफ हाई स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट, 2019 या एचआर 1044 नाम का यह विधेयक 435 सदस्यीय सदन में 65 के मुकाबले 365 मतों से पारित हो गया। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक एक साल में अमेरिका द्वारा परिवार आधारित प्रवासी वीजा दिए जाने की संख्या को सीमित कर दिया गया। अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक, किसी देश को ऐसे वीजा केवल सात फीसदी तक दिए जा सकते हैं।

सीमा को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया

नए विधेयक में इस सीमा को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह इसमें हर देश को रोजगार आधारित प्रवासी वीजा केवल सात प्रतिशत दिए जाने की सीमा को भी खत्म कर दिया गया है। इस विधेयक को कानून की शक्ल लेने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरुरत है लेकिन इससे पहले इसे सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी जहां रिपब्लिकन सांसदों की अच्छी-खासी संख्या है।

क्यों है महत्वपूर्ण?

अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने वाला यहां स्‍थायी रूप से रह सकता है और काम कर सकता है। ग्रीन कार्ड पर प्रत्येक देश के हिसाब से लगी सीमा से, खासतौर से फायदा भारत जैसे देशों से एच-1 बी वर्क वीजा पर काम कर रहे हाई-टेक पेशेवरों को होगा जिनके लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार एक दशक से भी ज्यादा समय का है।

देश के आधार पर ग्रीन कार्ड की संख्या सीमित होने से भारत और चीन के नागरिकों को औसतन कम नागरिकता मिल पाती है। वहीं दूसरे देशों के नागरिकों को आसानी से अमेरिका की स्थायी नागरिकता मिल जाती है। जानकारों का कहना है कि यदि यह कानून बन जाता है तो भारतीयों को ग्रीन कार्ड के साथ-साथ H-1B वीजा भी अधिक मिलेगा। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2018 तक ही अमेरिका के टेक्नोलॉजी क्षेत्र में 3 लाख भारतीय ऐसे हैं, जो ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

 

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