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दो मामले जब अमेरिका ने नहीं माना इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला आने के बाद कई सवाल भी उठने लगे हैं। एक तरफ जहां भारत इसे अपनी रणनीतिक जीत की तरह देख रहा है तो वहीं पाकिस्तान के द्वारा इस फैसले को मानने अथवा नहीं मानने पर भी संशय जारी है। ऐसे में उन घटनाओं की ओर ध्यान जाना लाजिमी है जब अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्णयों को अमल नहीं किया।
दो मामले जब अमेरिका ने नहीं माना इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला

पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान पाकिस्तान के  विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा था, “जाधव ने एक बार नहीं, दो बार अपने अपराध स्वीकार किए हैं, और पाकिस्तान पहले ही आईसीजे को सूचित कर चुका है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में उसके न्यायक्षेत्र को स्वीकार नहीं करता।” ऐसे बयानों के बाद यह भी कयास लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को अनसुना कर सकता है।

बता दें कि अलग-अलग मामलों में आईसीजे के फैसले को पहले भी  नकारा जा चुका है। आइए उन मामलों के बारे में जानते हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्णय के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया।

पराग्वे के नागरिक बीयर्ड का मामला

1998 में अमेरीका ने पराग्वे के एक नागरिक को मौत की सजा सुनाई थी। अपने नागरिक ऐंगल फ्रासिंस्को बीयर्ड की मौत की सजा के खिलाफ पराग्वे ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दस्तक दी। आईसीजे ने सुनवाई के बाद अमेरिका को कहा कि जब तक सुनवाई पूरी न हो जाए तब तक  वह बीयर्ड की मौत की सजा पर अमल ना करे। लेकिन अमेरिका इस फैसले को अमल नहीं करते हुए अमेरिकी अदालत के द्वारा तय किए तारीख पर उसे मौत की सजा दे दी।

जर्मन नागरिक लागांद्र का मामला

1982 में अमेरीका ने जर्मनी के नागरिक लाग्रांद को मौत की सजा सुनाई थी। इस दौरान लाग्रांद को यह नहीं बताया गया था कि उसे दूतावास द्वारा कानूनी सहायता पाने का अधिकार है। इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय अदालत ने सुनवाई पूरी होने तक जर्मन नागरिक लागांद्र की मौत की सजा पर रोक लगाने का फैसला सुनाया। लेकिन अमेरिका ने जर्मन नागरिक को मौत की सजा दे दी। 

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