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चीन के दखल के बाद कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक आज, बंद कमरे में होगी चर्चा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान को एक बार फिर से चीन का सहारा मिल गया...
चीन के दखल के बाद कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक आज, बंद कमरे में होगी चर्चा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान को एक बार फिर से चीन का सहारा मिल गया है। मुस्लिम राष्ट्रों समेत पूरी दुनिया ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ नहीं आया, लेकिन चीन अपनी चाल चलते हुए भारत के खिलाफ पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया। चीन ने अनुच्छेद 370 पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद दरवाजे (क्लोज डोर) में बैठक बुलाने की मांग की थी।

इस संबंध में चीन ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष जोआना रेकोनाका को पत्र भी लिखा था। अब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370  हटाए जाने पर सुरक्षा परिषद बंद दरवाजे में बैठक करने जा रहा है। यह बैठक न्यूयॉर्क स्थित सुरक्षा परिषद के मुख्यालय में भारत के स्थानीय समयानुसार शुक्रवार यानी आज शाम 7:30 बजे (न्यूयॉर्क में सुबह 10 बजे) होगी। इससे पहले पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन ओपन डोर बैठक बुलाने की मांग की थी, जिसको अनसुना कर दिया गया था।

पाकिस्तान ने लिखा था पत्र

जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को समाप्त करने के भारत के फैसले से परेशान पाकिस्तान ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में औपचारिक रूप से उठाने के लिए अर्जी लगाई है। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बयान में कहा था कि उन्होंने इस बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है। कुरैशी ने कहा है कि उन्होंने सुरक्षा परिषद अध्यक्ष से 'भारत के फैसले से दक्षिण एशिया में शांति एवं सुरक्षा के लिए पैदा हुए खतरों' पर विचार के लिए परिषद की आपात बैठक बुलाने का आग्रह किया है। कुरैशी का कहना है कि भारत का फैसला 'अवैध है और संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के खिलाफ है।'

विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला भारत का आंतरिक मामला

गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई द्विपक्षीय मुलाकात में स्पष्ट किया था कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला भारत का आंतरिक मामला है।

उन्होंने कहा था कि यह बदलाव बेहतर प्रशासन और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए है एवं फैसले का असर भारत की सीमाओं और चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नहीं पड़ेगा।

क्यों और कब की जारी है क्लोज डोर मीटिंग

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रोविजनल रूल्स ऑफ प्रोसीजर के नियम 55 में बंद दरवाजे में प्राइवेट मीटिंग का प्रावधान किया गया है। यह बैठक पूरी तरह से गोपनीय होती है और इसमें सिर्फ सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य ही हिस्सा लेते हैं। इस बैठक में उन देशों को भी हिस्सा नहीं लेने दिया जाता है, जिनसे संबंधित मुद्दा होता है।

इस बंद दरवाजे में होने वाली बैठक में सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा दिए जाने वाले बयानों का कोई रिकॉर्ड तक नहीं रखा जाता है। इस बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग तक नहीं होती है। लिहाजा बैठक में होने वाली पूरी चर्चा सार्वजनिक नहीं हो पाती है और यह पता नहीं चल पाता कि बैठक में जिस मुद्दे पर चर्चा हुई उस पर किस देश ने किसके पक्ष में या खिलाफ क्या बयान दिया?

इस बैठक में होने वाली चर्चा की जानकारी प्रेस रिलीज जारी करके भी नहीं दी जाती है, बल्कि इसकी जगह कम्यूनीक जारी किया जाता है। इसमें बैठक के संबंध में बेहद संक्षिप्त जानकारी सार्वजनिक की जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि सुरक्षा परिषद की बंद दरवाजे में होने वाली बैठक की पूरी जानकारी सिर्फ सदस्य देशों को ही होती है।

भारत भी नहीं ले पाएगा बैठक में हिस्सा

फिलहाल भारत न तो सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और न ही अस्थायी। इसका मतलब यह हुआ कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद दरवाजे में होने वाली बैठक की पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से भारत को नहीं हो पाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन के पास पाकिस्तान के पक्ष में जोरदार वकालत करने और भारत के खिलाफ कुटिल चाल चलने का पूरा मौका रहेगा। हालांकि सुरक्षा परिषद में सुधार करने और भारत को स्थायी सदस्य बनाए जाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है।

संयुक्त राष्ट्र में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका स्थायी सदस्य हैं, जिनके पास वीटो पावर है। वीटो पावर का मतलब यह हुआ कि अगर किसी प्रस्ताव पर इन पांच देशों में से कोई एक भी विरोध करता है, तो वो प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पास नहीं होता है। इसके अलावा बेल्जियम, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड, साउथ अफ्रीका, इक्वेटोरियल गिनी, आइवरी कोस्ट और डोमिनिकन गणराज्य अस्थायी सदस्य हैं। अस्थायी सदस्य दो साल के लिए चुने जाते हैं।

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