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भारत को जीएसपी कार्यक्रम में शामिल करने की मांग, 44 अमेरिकी सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन को लिखा पत्र

अमेरिका के 44 सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन से मांग की है कि वे भारत को फिर से जीएसपी व्यापार कार्यक्रम में...
भारत को जीएसपी कार्यक्रम में शामिल करने की मांग, 44 अमेरिकी सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन को लिखा पत्र

अमेरिका के 44 सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन से मांग की है कि वे भारत को फिर से जीएसपी व्यापार कार्यक्रम में शामिल करें ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते में सरलता हो। दरअसल, अमेरिका ने इसी साल जून में भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) कार्यक्रम से बाहर कर दिया था। जीएसपी के अंतर्गत भारत को अमेरिका से व्यापार में लाभार्थी का विशेष दर्जा मिला था। अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम में शामिल देशों को विशेष तरजीह दी जाती है। अमेरिका उन देशों से एक निश्चित राशि के आयात पर शुल्क नहीं लेता।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को लिखे पत्र में 44 सांसदों ने कहा है कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें अपने उद्योगों के लिए बाजारों की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी। कुछ छोटे मुद्दों पर मोल-भाव के कारण इस पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को ह्यूस्टन में मिलेंगे और दोनों पक्षों को दीर्घकालिक व्यापार मुद्दों पर संभावित सौदे की घोषणा करने की उम्मीद है।

कांग्रेस (संसद) सदस्य जिम हिम्स और रॉन एस्टेस की अगुआई में भारत के आयात के लिए जीएसपी लाभ को बहाल करने के लिए मजबूत द्विदलीय समर्थन दिखाते हुए 26 डेमोक्रेट्स और 18 रिपब्लिकन द्वारा लाइटहाइजर को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

नौकरियों-आमदनी का नुकसान

कोलिशन फॉर जीएसपी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डैन एंथनी ने मंगलवार को कहा कि भारत से जीएसपी दर्जा छीने जाने के बाद से ही अमेरिकी कंपनियां संसद को नौकरियों और आमदनी के घाटे के बारे में बता रही हैं। एंथनी के अनुसार, भारतीय निर्यातकों की हालत जीएसपी हटने के बाद भी बेहतर है, जबकि अमेरिकी कंपनियों को हर दिन 10 लाख डॉलर (7 करोड़ रुपए) नए टैरिफ के तौर पर चुकाने पड़ रहे हैं। नए आंकड़ों के अनुसार, अकेले जुलाई में ही अमेरिकी कंपनियों को तीन करोड़ डॉलर (214 करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ।

पत्र में कहा गया है कि जिस तरह अमेरिकी उद्योगों को भारत के बाजार में उचित और पारस्परिक पहुंच की कमी से नुकसान होता है, वैसे ही अमेरिकी कंपनियों और श्रमिकों को भी जीएसपी समाप्ति के कारण नए टैरिफ से नुकसान होता है।

सांसदों ने पत्र में लिखा है, "सरकार का बदलाव बची चिंताओं को दूर करने का एक नया अवसर प्रदान करता है और हमें उम्मीद है कि नए भारतीय अधिकारी अमेरिकी कंपनियों और श्रमिकों के लिए बाजार में सुधार के लिए ठोस समाधान पेश करेंगे।"

2017 में भारत को 40,000 करोड़ रु. के सामान पर शुल्क में मिली थी छूट

जीएसपी कार्यक्रम में शामिल विकासशील देशों को अमेरिका में आयात शुल्क से छूट मिलती है। इसके अंतर्गत भारत लगभग 2000 उत्पाद अमेरिका भेजता है। इन उत्पादों पर अमेरिका में इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी देश था। उसे अमेरिका में 5.7 अरब डॉलर (40,000 करोड़ रुपए) के आयात पर शुल्क में छूट मिली थी।

भारत को जीएसपी से क्यों हटाया?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कहना था कि उन्हें भारत से यह विश्वास नहीं मिल पाया है कि वह अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बराबर की छूट देगा। अमेरिका का कहना है कि भारत में प्रतिबंधों के कारण उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है। वह जीएसपी के मापदंड पूरे करने में असफल रहा है। अमेरिका ने पिछले साल अप्रैल में जीएसपी के लिए तय शर्तों की समीक्षा शुरू की थी।

एजेंसी इनपुट्स

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