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प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब, कहा- मौजूदा प्रयास अपर्याप्त

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच देश में फंसे प्रवासी श्रमिकों को...
प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब, कहा- मौजूदा प्रयास अपर्याप्त

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच देश में फंसे प्रवासी श्रमिकों को हो रही समस्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। मंगलवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों के आवागमन, रहने और खाने-पीने में केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से की गई व्यवस्था में कई खामियां हैं। यह अपर्याप्त है। प्रवासी मजदूर कठिन दौर में हैं जिसके लिए प्रभावकारी कदम उठाने की आवश्यकता है। मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी। 

उठाए गए कदम अपर्याप्त: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले पर कहा कि अखबार की रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट में लगातार प्रवासी मजदूरों के दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय हालात को लंबे समय से दिखाया जा रहा है। श्रमिक पैदल और साइकिल से चलने को मजबूर हैं। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने इस स्थिति पर कई कदम उठाए हैं लेकिन ये अपर्याप्त है। इनमें कई ख़ामियां हैं। समस्या को बेहतर करने के लिए सरकार को और अधिक व प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को प्रशासन द्वारा उन स्थानों पर भोजन और पानी उपलब्ध नहीं कराए जाने की शिकायत की गई है जहां वे फंसे हुए थे। राजमार्ग पर पैदल, साइकिल या अन्य अव्यवस्थित परिवहन से श्रमिक बिना अन्न और पानी के जाने को विवश हैं।

28 मई को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम आर शाह की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए सरकार की तरफ से प्रवासी श्रमिकों के लिए उठाए गए कदम पर 28 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस पूरे मामले में कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद करने को कहा है।

लाखों श्रमिक पैदल चलने को मजबूर

लॉकडाउन की वजह से देश के कई हिस्सों में श्रमिक फंसे हुए हैं। 25 मार्च से लॉकडाउन होने के बाद से श्रमिकों का काम-धंधा ठप है। जिसकी वजह से इन्हें जीवन-यापन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लाखों की संख्या में मजदूर अपने गांव पैदल जाने को मजबूर हैं। इसमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी हजारों किलोमीटर पैदल सफर करने को विवश है। केंद्र की अनुमति के बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही है, लेकिन अभी भी मजदूर सड़क पर पैदल चलने को मजबूर है। हालांकि, जारी लॉकडाउन के चौथे चरण में कई तरह की गतिविधियों में छूट दी गई है। एक जून से दो सौ और ट्रेने चलाई जा रही है। 25 मई से घरेलू विमान सेवा भी शुरू हो गई है।

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