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पीएम मोदी के अचानक लद्दाख दौरे ने विरोधियों को किया चकित, चीन को मिला कड़ा संदेश

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को देश को संबोधित किया था तो कई लोग निराश हो गए थे, जब पीएम ने...
पीएम मोदी के अचानक लद्दाख दौरे ने विरोधियों को किया चकित, चीन को मिला कड़ा संदेश

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को देश को संबोधित किया था तो कई लोग निराश हो गए थे, जब पीएम ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी गतिरोध को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। वह शायद एक रणनीतिक कदम था। हर विवाद का धमाके और बमबारी के साथ जवाब नहीं दिया जाता है। हालांकि, जब पीएम मोदी लेह से 34 किमी दूर 11 हजार फीट की ऊँचाई पर थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के साथ शुक्रवार को पहुंचे तो कई मजबूत बयान दिए। लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ हुए हिंसक झड़प में भारतीय सेना के बीस जवान शहीद होने के करीब 15 दिन बाद निमू पहुंच पीएम मोदी ने सीमा पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान पीएम ने लेह के बेस अस्पताल में भर्ती घायल जवानों से मुलाकात की और उनकी वीरता और सौभाग्य को फिर से दोहराया।

उसके बाद पीएम ने जांस्कर रेंज से घिरे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), भारतीय वायु सेना और थल सेना के सैनिकों को संबोधित किया। पीएम ने देश की सुरक्षा, बहादुर सैनिकों के बलिदान और उनके कृतित्व जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठाया। संबोधन में पीएम ने कहा कि भारत हमेशा शांति के लिए खड़ा है। पीएम ने यह भी कहा कि केवल बहादुर ही शांति चाहते हैं। हम शांति के लिए हैं लेकिन हमारे पास अपने राष्ट्र की रक्षा करने का साहस है।

पीएम मोदी के इस संबोधन से जवानों को बल मिलेगा। साथ ही पीएम की ये अघोषित यात्रा राजनीतिक चिंताओं को भी दूर करेगा। उनके लद्दाख दौरे और सेना के जवानों को किए गए संबोधन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुई में आलोचकों को जोरदार तरीके से चुप कराने की संभावना है, क्योंकि इनलोगों ने चीन को चुपचाप कोसने का आरोप लगाया था। पीएम मोदी का ये दृढ़ संदेश निश्चित रूप से कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि लद्दाख बहुत अधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के लिए सैनिकों द्वारा 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के बीच पीएम की इस शक्तिशाली छवि का मुकाबला करना मुश्किल होगा। और फिर चीन के लिए एक सख्त संदेश कि भारत कमजोर नहीं है। भले ही भारत और चीन के बीच सैन्य-स्तरीय और कूटनीतिक बातचीत जारी है, लेकिन पीएम मोदी की ये यात्रा प्रभुत्व का सबसे दृढ़ प्रतीक है।

पीएम ने दुनिया को यह भी बताया कि भारत के साथ छलावा नहीं किया जा सकता है और यह इस क्षेत्र में एक ताकत है। यदि किसी को कोई संदेह था तो पीएम ने शब्दों के जरिए मजबूत संदेश दिया, “विस्तारवाद के दिन खत्म हो गए हैं। विस्तारवादी ताकतें ही वैश्विक शांति में बाधा पैदा करती हैं। वे या तो हार गए हैं या पीछे हटने के लिए मजबूर हो गए हैं। दुनिया शांति, सुरक्षा और विकास चाहती है। ”

 

 

 

 

 

 

 

 

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