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आलोक वर्मा मामले में जस्टिस सीकरी ने क्यों दिया मोदी का साथ? पूर्व जज ने खोला राज

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में चल रहा विवाद रूकने का नाम नहीं ले रहा है। आलोक वर्मा के चार्ज लेने के 24...
आलोक वर्मा मामले में जस्टिस सीकरी ने क्यों दिया मोदी का साथ? पूर्व जज ने खोला राज

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में चल रहा विवाद रूकने का नाम नहीं ले रहा है। आलोक वर्मा के चार्ज लेने के 24 घंटे के भीतर ही उनकी सीबीआई निदेशक पद से छुट्टी हो गई। जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया। इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने फेसबुक पर पोस्ट लिखी है।

बता दें कि गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली  सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को हटाने का फैसला किया था। इस कमेटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। लंबी बैठक के बाद कमेटी ने आलोक वर्मा को पद से हटाने को लेकर 2-1 से फैसला किया।

सिर्फ मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले का विरोध किया था। जबकि मोदी के अलावा सीजेआई रंजन गोगोई की ओर से कमेटी में शामिल एके सीकरी भी आलोक को हटाए जाने के पक्ष में रहे। अब इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर बताया है कि जस्टिस सीकरी ने आलोक वर्मा को सीबीआई के डायरेक्टर के पद से क्यों हटाने का पक्ष लिया।

फेसबुक पोस्ट में काटजू ने लिखा कि कल मैंने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एके सीकरी को लेकर एक पोस्ट लिखा था। कई लोगों ने मुझसे पूछा कि आलोक वर्मा को कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं मिला। इसके बाद मैंने जस्टिस सीकरी को आज (शुक्रवार) सुबह फोन किया और पूछा कि इस पर आपको क्या कहना है। उन्होंने जो कहा उसको फेसबुक पर लिखने की अनुमति भी मैंने उनसे ली।

जस्टिस सीकरी ने काटजू को बताईं ये बातें-

पोस्ट में लिखा है, “सीवीसी के सामने जो सबूत आए थे उसके आधार पर उसने आलोक वर्मा के ऊपर पहले ही आरोप लगाए थे। सीवीसी ने आलोक वर्मा को अपना पक्ष रखने का मौका दिया। सीवीसी द्वारा आलोक वर्मा को दोषी पाए जाने के बाद जस्टिस सीकरी का मानना था कि आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद पर नहीं होना चाहिए था। उनका मानना था कि जब तक उनका दोष सिद्ध नहीं हो जाता या वो निर्दोष करार नहीं दे दिए जाते तब तक उन्हें इस पद पर नहीं होना चाहिए।”

आलोक वर्मा को हटाया नहीं गया

पोस्ट के मुताबिक, “कुछ लोगों का मानना था कि आलोक वर्मा को हटाया नहीं गया है। यहां तक कि उनको निलंबित भी नहीं किया गया। उनका सिर्फ तबादला किया गया। सैलरी उनको मिलती रही। जहां तक आलोक वर्मा को सुनवाई के लिए मौका नहीं देने का सवाल है तो सिद्धांत है कि बिना किसी सुनवाई के पद से नहीं हटाया जा सकता, लेकिन निलंबित किया जा सकता है। आलोक वर्मा को तो निलंबित भी नहीं किया गया है, उनका सिर्फ उसी रैंक के किसी दूसरे पद पर तबादला हुआ है।”

पहले काटजू ने क्या कहा था?

अपने पहले पोस्ट में जस्टिस काटजू ने लिखा कि आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया है। इस फैसले के बाद मेरे पास कई फोन आएं, और लोगों ने पूछा कि मेरा इस पर क्या कहना है। मैं जस्टिस सीकरी को बहुत अच्छे से जानता हूं क्योंकि मैं दिल्ली हाइकोर्ट में उनका चीफ जस्टिस था। मैं उनकी ईमानदारी की तारीफ सकता हूं। उन्होंने बिना किसी सबूत के अलोक वर्मा के खिलाफ फैसला नहीं लिया होगा। मुझे नहीं पता कि वो क्या सबूत हैं, पर मैं जस्टिस सीकरी को जानता हूं और अपनी जानकारी से कह सकता हूं कि वो किसी से प्रभावित नहीं हो सकते हैं।

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