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ICJ में भारत का आरोप- पाकिस्तान ने गढ़ा कुलभूषण जाधव का कबूलनामा

कुलभूषण जाधव मामले में हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट की...
ICJ में भारत का आरोप- पाकिस्तान ने गढ़ा कुलभूषण जाधव का कबूलनामा

कुलभूषण जाधव मामले में हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट की कार्रवाई कल तक के लिए स्थगित हो गई है। आज से शुरू हुई यह सुनवाई 21 फरवरी तक चलेगी।इसमें भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के सामने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। मामले में भारत और कुलभूषण जाधव के प्रतिनिधि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे साल्वे ने आईसीजे से कहा, 'भारत जाधव की दोषिसिद्ध निरस्त करने तथा यह निर्देश देने की मांग करता है कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।' भारत ने मांग की कि सैन्य अदालत द्वारा जाधव की सुनवाई कानूनी प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करने में नाकाम रही और इसे ‘गैरकानूनी' घोषित किया जाना चाहिए।

'कॉन्सुलर देने में समय क्यों लगा'

हरीश साल्वे ने कहा कि यदि अनुच्छेद 36 इस बात की इजाजत देती है कि उन सभी मामलों में जिसमें इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं तो उसी अनुच्छेद के तहक कॉन्सुलर एक्सेस की मांग करना अधिकारों की बेजा मांग नहीं हो सकती है।   

साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को इस संबंध में पुख्ता व्याख्या करनी चाहिए कुलभूषण जाधव तो कंसुलर एक्सेस देने में तीन महीने की समय की जरूरत क्यों पड़ी। अगर सार्क कंन्वेंशन को देखें और ट्रीटी के पैरा-4 को देखें तो ये साफ है कि पाकिस्तान की तरफ से प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि जिन शर्तों पर पाकिस्तान ने जाधव के परिवारवालों से मिलने की इजाजत दी उन्हीं शर्तों पर 25 दिसंबर 2017 को कुलभूषण जाधव से मुलाकात हुई। लेकिन जिस तरह से परिवार वालों से मुलाकात कराई गई उससे भारत हैरान था। इस संबंध में भारत ने ऐतराज जताते हुए 27 दिसंबर 2017 को पाकिस्तान सरकार को खत भी लिखा गया।         

'कबूलनामे को गढ़ा गया है'

साल्वे ने कहा कि जाधव का कबूलनामा को पूरी तरह से गढ़ा गया है। पाकिस्तान को याद दिलाया गया कि उसने आपराधिक मामलों में कानूनी मदद के लिए सार्क कन्वेशन को लागू नहीं किया है।         

साल्वे ने कहा कि भारत ने जाधव को कॉन्सुलर मदद देने के लिए 30 मार्च 2016 को पाकिस्तान को याद दिलाया लेकिन पाकिस्तान से कोई जवाब नहीं मिला। पाकिस्तान को इस दौरान 13 रिमांडर भेजे गए। जाधव की आतंकवादी गतिविधियों की संलिप्तता है इसका कोई प्रामाणित सबूत पाकिस्तान के पास नहीं है। यहां तक कि जाधव के खिलाफ पाकिस्तान के जिस कोर्ट में कथित सुनवाई हुई उसका कोई ब्योरा नहीं है।

'पाक ने प्रोपगैंडा के लिए आईसीजे के मंच का इस्तेमाल किया'

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने तीन सालों तक जाधव को शारीरिक रूप से प्रताड़ित और परेशान किया और उनसे जबरन अपराध कबूल करवाया। यही नहीं पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रोपगैंडा फैलाने लिए आईसीजे के मंच का इस्तेमाल किया। 

साल्वे ने कहा कि जाधव को ईरान से अगवा कर पाकिस्तान लाया गया और इसके सबूत भारत के पास हैं। जाधव को कॉन्सुलर मदद मुहैया कराने के लिए अलग-अलग समय पर पाकिस्तान को 13 रिमांडर भेजे गए लेकिन इस पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

'वियना संधि का उल्लंघन'

साल्वे ने कहा कि इस मामले में पाकिस्तान के पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं। जाधव मामले में पाकिस्तान का केस तथ्यों पर नहीं बल्कि कही-सुनी बातों पर आधारित है। हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान ने जाधव केस में वियना संधि का उल्लंघन किया। इस मामले में वह लगातार दुष्प्रचार कर रहा है। उसने जाधव को उनके अधिकारों से वंचित किया।  

क्या है मामला

पाकिस्तानी सेना की अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर भारतीय नागरिक जाधव (48) को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने इसके खिलाफ उसी साल मई में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए आईसीजे की स्थापना की गई थी।

आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 में पाकिस्तान को मामले में न्यायिक निर्णय आने तक जाधव को सजा देने से रोक दिया था।  आईसीजे ने हेग में 18 से 21 फरवरी तक मामले में सार्वजनिक सुनवाई का समय तय किया है। भारत की तरफ से हरीश साल्वे हेग कोर्ट में वकालत कर रहे हैं तो पाकिस्तान की ओर से ख्वार कुरैशी को पेश हुए हैं। इसके बाद भारत 20 फरवरी को इस पर जवाब देगा जबकि इस्लामाबाद 21 फरवरी को अपनी आखिरी दलीलें पेश करेगा। ऐसी उम्मीद है कि आईसीजे का फैसला 2019 की गर्मियों में आ सकता है।

जाधव पर पाक ने लगाया जासूसी का आरोप

पाकिस्तानी सैनिकों ने कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में बलूचिस्तान प्रांत से पकड़ा था। उन पर अफगानिस्तान में जासूसी के आरोप लगाए गए और मिलिट्री कोर्ट ने 10 अप्रैल 2017 को उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई थी। इस पर रोक लगवाने के लिए भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था।

जाधव पर ये आरोप भी लगे हैं कि उन्होंने ईरान के रास्ते अवैध तरीके से पाकिस्तान में प्रवेश किया। पिछले साल 25 मार्च को पाकिस्तान ने जाधव का एक कथित गोपनीय बयान जारी किया जिसमें जाधव यह कहते सुने गए कि वे इंडियन नेवी के कार्यरत अधिकारी हैं और उस वक्त वे भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग (रॉ) के लिए काम कर रहे थे।

पाकिस्तान के एक समाचार माध्यम ने एक अधिकारी के बयान के साथ लिखा है, 'हम एक पुख्ता सबूत के साथ तैयार हैं। कमांडर जाधव के पास से एक पासपोर्ट मिला था, जिसमें उसका मुस्लिम नाम लिखा हुआ था।'

भारत ने की जाधव की सजा रद्द करने की मांग
भारत पहले कह चुका है कि कुलभूषण जाधव जासूस नहीं हैं। बल्कि पाक सैनिकों ने उन्हें अफगानिस्तान सीमा से किडनैप किया था। भारत ने कोर्ट से अपील की है कि पाकिस्तान को जाधव की सजा रद्द करने का आदेश दिया जाए। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने विएना संधि का उल्लंघन कर कुलभूषण को काउंसलर एक्सेस मुहैया नहीं कराई और मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया।

जाधव के परिवार का किया था अपमान

कुलभूषण का परिवार उनसे मिलने 2017 में पाकिस्तान गया था। तब उनके परिवार को प्रताड़ित और अपमानित किया गया था। मुलाकात के दौरान जाधव और परिवार सीसीटीवी की निगरानी में था और उनके बीच एक कांच की दीवार थी।

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