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चीफ जस्टिस के खिलाफ किन पांच ग्राउंड पर दिया गया है महाभियोग का प्रस्ताव

विपक्षी दलों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का...
चीफ जस्टिस के खिलाफ किन पांच ग्राउंड पर दिया गया है महाभियोग का प्रस्ताव

विपक्षी दलों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव राज्यसभा के सभापति को दिया। प्रस्ताव में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ पांच आरोप लगाए गए हैं। जानते हैं कि आखिर वे कौन-से पांच आरोप हैं...

1. प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले के प्रथम दृष्टया सबूतों से लगता है कि मुख्य न्यायाधीश अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल हो सकते हैं, इसके लिए इस मामले में कम-से-कम जांच की जरूरत है।  

2. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट मामले की सुनवाई वाली हर खंडपीठ का हिस्सा थे और उन्होंने इस केस में आदेश भी पारित किए। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए दाखिल की गई याचिका में प्रशासकीय और न्यायिक भूमिका निभाई, जबकि वह भी खुद इस जांच के दायरे में आ सकते थे। इस तरह उन्होंने जजों के लिए निर्धारित आचार संहिता का उल्लंघन किया।

3. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने छह नवंबर 2017 को एक मामले के सुनवाई के लिए अचानक राजी हो गए, जो फर्जीवाड़े का गंभीर मामला है। (दरअसल, जस्टिस चेलमेश्वर 9 नवंबर 2017 को एक याचिका की सुनवाई करने वाले थे, तभी अचानक उनके पास सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से बैक डेट का एक नोट भेजा गया और कहा गया कि वे इस याचिका पर सुनवाई न करें।)

4. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने वकालत के दिनों में झूठा हलफनामा दायर कर जमीन हासिल की थी। एडीएम ने हलफनामे को झूठा करार दिया और 1985 में ही उसका आवंटन रद्द कर दिया गया, लेकिन 2012 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के बाद ही उन्होंने जमीन सरेंडर की।

5. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने मास्टर ऑफ रोस्टर के रूप में अपने प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग किया है। उन्होंने राजनी‌तिक रूप से संवेदनशील मामलों की सुनवाई के लिए मनमाने तरीके से कुछ विशेष बेंचों में भेजा।

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