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नागेश्वर राव की नियुक्ति मामले की सुनवाई से अलग हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को उस याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया है जिसमें सीबीआई के...
नागेश्वर राव की नियुक्ति मामले की सुनवाई से अलग हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को उस याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया है जिसमें सीबीआई के अतंरिम निदेशक के तौर पर एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में सीबीआई निदेशक के चुनाव को शॉर्टलिस्ट करने, चुनाव करने और नियुक्ति करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है।

मामले में सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हो सकता: सीजेआई

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि वह नए सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए 24 जनवरी 2019 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में भाग ले रहे हैं, इसलिए वे इस मामले में सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। इस मामले में याचिका पर बुधवार को जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा विचार किया जाएगा। बता दें कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति तीन सदस्यों की उच्चस्तरीय समिति करती है, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते हैं।

एनजीओ कॉमन कॉज ने वकील प्रशांत भूषण के जरिये दायर की गई याचिका में कहा है कि बिना चयन समिति की मंजूरी के राव की नियुक्ति गलत है। नागेश्वर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप होने की दलील भी दी गई है।

आलोक वर्मा के बाद नागेश्वर राव की हुई है नियुक्ति

पिछले साल 23 अक्टूबर को सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। उनकी जगह नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया। बाद में आलोक वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली। आलोक वर्मा ने दोबारा कार्यभार संभाला लेकिन उसके ठीक बाद उच्चस्तरीय समिति ने उन्हें सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया। नागेश्वर राव को दोबारा अंतिरम निदेशक नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

एनजीओ ने दिया ये तर्क

एनजीओ ने तर्क दिया कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए उच्चस्तरीय चयन समिति को केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से किनारे कर 10 जनवरी को राव की अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति कर दी गई, जो कि मनमाना और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

संगठन ने कहा, ‘नागेश्वर राव की अंतरिम सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति उच्चस्तरीय चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं हुई है। 10 जनवरी, 2019 की तारीख वाले आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने पहले की व्यवस्थाओं के अनुसार नागेश्वर राव की नियुक्ति को मंजूरी दी है’।

नागेश्वर राव 1986 बैच के ओडिशा काडर के आईपीएस अधिकारी हैं

1986 बैच के ओडिशा काडर के आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव (तत्कालीन संयुक्त निदेशक) को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात को सीबीआई निदेशक के दायित्व और कार्य सौंपे गए थे। उन्हें बाद में अतिरिक्त निदेशक के रुप में प्रोन्नत किया गया था, लेकिन जब आलोक वर्मा फिर से सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल हुए तो वो हट गए थे। लेकिन आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद दोबारा उन्हें अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया।

 

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