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इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया चंद्रयान-2, पीएम मोदी ने दी बधाई

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 आज यानी 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा से दोपहर 2.43 बजे रॉकेट...
इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया चंद्रयान-2, पीएम मोदी ने दी बधाई

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 आज यानी 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा से दोपहर 2.43 बजे रॉकेट GSLV-MK3 से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। जीएसएलवी-एमके3 ने 17 मिनट बाद सफलतापूर्वक इसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। इसरो चीफ के शिवन ने सफल मिशन की घोषणा करते हुए कहा कि यह चंद्रमा पर भारत की यात्रा और साउथ पोल के नजदीक लैंड होकर वैज्ञानिक प्रयोग करने की ऐतिहासिक शुरुआत है।

इससे पहले इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन का काउंटडाउन रविवार शाम 6:43 बजे से शुरू हो गया था। 15 जुलाई को लॉन्चिंग टाले जाने के बाद इसरो ने इसके लिए 22 जुलाई को दोपहर 2:43 बजे का वक्त तय किया था। इससे पहले 15 तारीख को क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के चलते लॉन्चिंग को कुछ वक्त पहले ही स्थगित कर दिया गया था।

पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने दी बधाई

पीएम मोदी ने मिशन सफल होने पर बधाई देते हुए कहा, 'खास क्षण जो स्वर्णिम इतिहास में दर्ज होंगे। चंद्रयान 2 का सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हमारे वैज्ञानिकों के कौशल और 130 करोड़ भारतीयों के दृढ़ निश्चय को दिखाता है। हर भारतीय आज बहुत गौरवान्वित है। चंद्रयान-2 से हमारे युवा वैज्ञानिक विज्ञान, उच्च क्वालिटी रिसर्च और इनोवेशन की तरफ प्रोत्साहित होंगे।' उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों और भारतीयों को बधाई दी है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बधाई देते हुए कहा कि भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाईष मेरी कामना है कि टेक्नोलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में इसर, नित नई ऊंचाइयों को पहुंचे।

देखें वीडियो-


'6 सितंबर को चांद पर लैंडिंग'

इसरो चेयरमैन के शिवन ने बताया कि 22 जुलाई को लॉन्च होने के बाद 14 अगस्त से हम चंद्रमा के लिए यात्रा शुरू करेंगे। इसके बाद 6 सितंबर तक मून पर लैंडिंग होगी। सभी ऐक्टिविटीज अच्छे से चल रही हैं। इससे पहले शनिवार दोपहर को इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 को ले जाने वाले जीएसएलवी मार्क III-एम 1 की लॉन्च रिहर्सल पूरी हो गई है और परफॉर्मेंस नॉर्मल है।

चंद्रयान-2 के बारे में

चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो होगा। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड रहेगी।

पहली बार अक्टूबर 2018 में टली थी ल़ॉन्चिंग

इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई। बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया। इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया। ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे।

चंद्रयान-2 मिशन क्या है?

नई तारीख तय होने पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।

ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?

चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।

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