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हॉकी: मनप्रीत से लेकर श्रीजेश तक, जानें कौन हैं ये धुरंधर जिन्होंने 41 साल के सूखा को किया खत्म

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। भारतीय टीम लगभग 41 साल बाद ओलंपिक में...
हॉकी: मनप्रीत से लेकर श्रीजेश तक, जानें कौन हैं ये धुरंधर जिन्होंने 41 साल के सूखा को किया खत्म

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। भारतीय टीम लगभग 41 साल बाद ओलंपिक में पदक जीती है, इंडिया ने कांस्य पदक अपने नाम किया है। टीम इंडिया ने इस मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से मात दी है। इस उपलब्धि के नायक पूरी टीम रही है। आइए, जानते हैं भारतीय हॉकी टीम के इन धुरंधर खिलाड़ियों के बारे में...

मनप्रीत सिंह: इतिहास रचने वाली इस टीम के कप्तान 29 साल के मनप्रीत सिंह हैं। मनप्रीत ने महज 19 साल की उम्र में ही टीम इंडिया के लिए पदार्पण किया था। मनप्रीत पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम की जान रहे हैं।

पी.आर. श्रीजेश: भारतीय टीम के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ी श्रीजेश ने इस ओलंपिक में अपनी जो प्रतिभा दिखाई है उससे सभी परिचित हैं। गोलकीपर श्रीजेश ने इस बार दर्जनों गोल बचाए हैं, जिसकी बदौलत टीम इंडिया ब्रॉन्ज पर कब्जा जमाने में कामयाब हो पाई है। श्रीजेश ने 2016 टीम इंडिया की कप्तानी भी की थी, केरल से आने वाले श्रीजेश ने साल 2006 में अपना पदार्पण किया था।

रुपिंदर पाल सिंह: 31 वर्षीय डिफेंडर रुपिंदर को ड्रैग फ्लिकर भी कहा जाता है। टोक्यो ओलंपिक में भी उन्होंने पेनाल्टी कॉर्नर के दौरान टीम के लिए कई गोल दागे हैं। रुपिंदर 2018 से ही टीम इंडिया में रहे हैं, लंबी हाइट के होने के कारण भी टीम को उनका फायदा मिलता है।

हरमनप्रीत सिंह: 2016 में जूनियर विश्व कप जीत चुके हरमनप्रीत सिंह रियो ओलंपिक में भी टीम इंडिया का हिस्सा थे। अब टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के विरुद्ध ब्रॉन्ज़ मेडल के मैच में भी हरमनप्रीत ने भी गोल दागा है। हरमनप्रीत को पेनाल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट कहा जाता है।

सुरेंद्र कुमार: हॉकी इंडिया लीग में दिल्ली की टीम से खेलने वाले सुरेंद्र ने टीम इंडिया में आते ही कमाल मचा है। हरियाणा के रहने वाले सुरेंद्र ने एशियन गेम्स, रियो ओलंपिक में भाग लिया है। सुरेंद्र कुमार भारतीय टीम के डिफेंस के आधार हैं।

बिरेंदर लाकरा:  लगभग दो सौ मैच खेल चुके बिरेंदर का ये दूसरा ओलंपिक है, इससे पहले उन्होंने पहले लंदन ओलंपिक में भी भाग लिया था। मगर सर्जरी के कारण रियो ओलंपिक में नहीं खेल पाए थे। ओडिशा से आने वाले बिरेंदर ऐसे तो डिफेंडर हैं, मगर टीम की आवश्यकता के हिसाब से वो मिड फील्डर पॉजिशन पर भी खेलते हैं।


अमित रोहिदास: 2013 में पदार्पण करने वाले अमित का करियर भारी उतार-चढ़ाव वाला रहा है, वह लंबे समय तक टीम इंडिया से बाहर रहे। मगर हॉकी इंडिया लीग में खुद को सिद्ध करने के बाद एक बार फिर उनकी वापसी हुई और 2017 से ही वो टीम इंडिया के डिफेंस की रीढ़ हैं।

हार्दिक सिंह: 22 वर्षीय युवा हार्दिक ने टोक्यो ओलंपिक में अपनी विशेष पहचान बना ली है। दरअसल, सेमी-क्वार्टरफाइनल में किया गया हार्दिक का गोल टीम के लिए भाग्यशाली साबित हुआ था। 2018 में चैम्पियंस ट्रॉफी से पदार्पण करने वाले हार्दिक ने काफी कम समय में स्वयं को एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी सिद्ध किया है।

विवेक सिंह प्रसाद: भारतीय टीम के प्रतिभाशाली मिडफील्डर विवेक को उनकी सूझबूझ के लिए सराहा जाता है। वर्ष 2018 में केवल 17 साल की आयु में टीम इंडिया में आने वाले विवेक सबसे कम उम्र में पदार्पण करने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं। टोक्यो में उन्होंने फॉरवर्ड लाइन का जिम्मा संभाला और टीम का हरसंभव साथ दिया।

नीलकंत शर्मा: 2016 के जूनियर हॉकी विश्व कप में अपना जौहर बिखेरने के बाद नीलकंत ने सीनियर टीम में स्थान बनाया।मणिपुर से आने वाले 26 वर्ष के इस मिडफील्डर ने पिछले 3 साल में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है।

शमशेर सिंह: महज 24 साल के शमशेर पंजाब के अटारी बॉर्डर के पास बसे गांव से आते हैं। यह इलाका पाकिस्तान से लगता है। अब तक केवल 10 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके शमशेर टीम इंडिया के सरप्राइज़ पैकेज हैं।

सुमित वाल्मिकी:  हरियाणा के सोनीपत से आने वाले सुमित को उनकी तेज गति के लिए जाना जाता है। 2016 में जूनियर विश्व कप जीतने वाली टीम का सुमित हिस्सा रह चुके हैं। सुमित की कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है। दरअसल, गरीबी से उठकर आए सुमित को हॉकी में अपना करियर बनाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है।


दिलप्रीत सिंह:  2018 में पंजाब के दिलप्रीत सिंह ने भारतीय टीम में कदम रखा और उसके बाद से ही हर बड़े टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन किया। कॉमनवेल्थ गेम्स से लेकर एशियन गेम्स और वर्ल्ड कप तक उन्होंने अपना लोहा मनवाया। वह टीम के अहम खिलाड़ी साबित हुए हैं।

गुरजंत सिंह: जब जूनियर विश्व कप के सेमीफाइनल में भारतीय टीम की जीत हुई तब गुरजंत सिंह सबसे बड़े स्टार बनकर सामने आए। लिहाजा टीम इंडिया में उनकी एंट्री भी हो गई। टोक्यो ओलंपिक में भी महत्वपूर्ण मोड़ पर गुरजंत सिंह ने गोल करके टीम इंडिया को मेडल की दहलीज पर पहुंचाया।

मनदीप सिंह: 26 वर्षीय मनदीप सिंह फॉरवर्ड पॉजिशन की शान हैं। उन्होंने पूरे ओलंपिक में भारतीय आक्रमण की अगुवाई की है। 2012 में पदार्पण करने वाले मनदीप ने हॉकी इंडिया लीग में जबरदस्त प्रदर्शन कर अपनी विशेष पहचान बनाई। अबतक वो 150 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं।

 

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