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CJI यौन उत्पीड़न मामले में कल तक टली सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जड़ तक जाएंगे

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई खत्म हुई। कोर्ट...
CJI यौन उत्पीड़न मामले में कल तक टली सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जड़ तक जाएंगे

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई खत्म हुई। कोर्ट में वकील उत्सव बैंस ने सीलबंद लिफाफे में सीसीटीवी फुटेज सौंपा है। उत्सव बैंस ने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी। इस मामले में उत्सव बैंस कल यानी गुरुवार सुबह 10.30 बजे तक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करेंगे। उत्सव बैंस ने दावा किया था कि मेरे पास चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की ऐसी जबरदस्त कहानी गढ़ने का ऑफर आया था, जिससे सीजेआई को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़े।

कोर्ट ने क्या कहा

जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि हलफनामे में उत्सव बैंस ने कुछ नामों का भी उल्लेख किया है। यह एक युवक द्वारा लगाया गया एक गंभीर आरोप है, जिसके सामने उसका पूरा करिअर है और वह गलत हलफनामा दाखिल करने का परिणाम जानता है। व्यवस्था को शुद्ध करना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है। बुधवार को सुनवाई पूरी होने के बाद स्पेशल बेंच ने कहा कि उत्सव बैंस द्वारा दी गई जानकारी को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए और गोपनीयता बनाए रखना चाहिए, क्योंकि यह यौन उत्पीड़न के एक मामले में सीजेआई को आरोपित करने के लिए कथित साजिश से संबंधित है। इस संबंध में उन्हें (बैंस) लगता है कि वे कुछ स्थानों पर कुछ खास लोगों से मिले थे। हमने हलफनामे को निदेशक सीबीआई, निदेशक आईबी और पुलिस कमिश्नर के साथ साझा किया और उनसे इस मामले में मदद करने का अनुरोध किया है।

तो देश न्यायपालिका में विश्वास खो देगा

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'वकील उत्सव बैंस के हलफनामे में कहा गया है कि अजय नाम का शख्स उनसे मिला। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि आरोप लगाने वाली महिला और कुछ अन्य रजिस्ट्री कर्मचारियों के साथ तपन चक्रवर्ती और मानव शर्मा द्वारा एक साजिश रची गई थी। यह एक गंभीर मसला है। न्यायपालिका में फिक्सिंग नहीं होना चाहिए। हम इस मुद्दे की जड़ तक जाना चाहते हैं- ये फिक्सर कौन हैं? आपको हर किसी का बचाव करने का अधिकार है। स्वतंत्र रहें। सच्चाई का पता लगाएं। सुप्रीम कोर्ट में कोई फिक्सिंग सर्कल है या नहीं? क्या हमें अपनी आंखें बंद रखनी चाहिए? अगर इस तरह के हलफनामे को नजरअंदाज किया गया तो देश न्यायपालिका में विश्वास खो देगा।

सीबीआई, आईबी और पुलिस कमिश्नर के साथ चली एक घंटे तक मीटिंग

इस बीच बेंच ने अपने चेंबर में सीबीआई के डायरेक्टर, पुलिस कमिश्नर और आईबी निदेशक को बुलाया। तीनों अफसरों के साथ जजों की मीटिंग करीब एक घंटे तक चली। बताया जा रहा है कि पीठ ने इन तीनों अधिकारियों के साथ वकील उत्सव बैंस की सुरक्षा को लेकर चर्चा की।

इससे पहले जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच को वकील उत्सव बैंस ने हलफनामे की एक प्रति दी। साथ ही सील बंद लिफाफे में एविडेन्स मेटीरियल भी कोर्ट को दिया गया। बेंच बैंस के हलफनामे और अन्य सपोर्टिंग मटीरियल्स एविडेन्स पर आपस में विचार-विमर्श कर रही है।

उत्सव बैंस ने कहा कि कुछ लोगों ने मुझे इस मामले को सार्वजनिक ना करने को लेकर आगाह किया था। शुक्रवार को मैंने इसे सार्वजनिक कर दिया। बार की ओर से कहा गया कि बार गुटों में बंटा हुआ है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है। बैंस ने कहा कि इस साजिश का पूरा भंडाफोड़ करने के लिए वो एक और हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं। पुलिस के पास जाने का कोई मतलब नहीं। पुलिस राज्य के अधीन है और राज्य सरकार राजनीति के। इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।

 बैंस को रिश्वत देने की हुई थी कोशिश

सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्सव ने दावा किया था कि चीफ जस्टिस को बदनाम करने के लिए उनके पास भी कुछ लोग (फिक्सर) आए थे और उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की थी। फेसबुक पोस्ट में उत्सव बैंस ने दावा किया था कि मेरे पास चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न की ऐसी जबरदस्त कहानी गढ़ने का ऑफर आया था, जिससे सीजेआई को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़े।

सीजेआई पर ये हैं आरोप?

शीर्ष अदालत की पूर्व कर्मचारी ने 22 पन्नों के एक हलफनामे में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में 'फायदा' उठाने की कोशिश की। वैसे, जस्टिस गोगोई ने महिला द्वारा लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया है।

महिला ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने जस्टिस गोगोई की मांग ठुकरा दी थी और दफ्तर से बाहर आ गई थी। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे उसकी नौकरी से बाहर कर दिया गया।

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