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अक्टूबर में थोक महंगाई साढ़े तीन साल के सबसे निचले स्तर पर, कमजोर मांग का असर

बीते अक्टूबर में थोक महंगाई की दर घटकर करीब साढ़े तीन साल के न्यूनतम स्तर 0.16 फीसदी पर रह गई। गुरुवार को...
अक्टूबर में थोक महंगाई साढ़े तीन साल के सबसे निचले स्तर पर, कमजोर मांग का असर

बीते अक्टूबर में थोक महंगाई की दर घटकर करीब साढ़े तीन साल के न्यूनतम स्तर 0.16 फीसदी पर रह गई। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्यूफैक्चर्ड गुड्स के मूल्य में गिरावट आने के कारण थोक महंगाई में कमी आई है। हालांकि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कोई कमी नहीं आई।

जून 2016 में निगेटिव जोन में थी महंगाई

इससे पहले थोक महंगाई दर ने जून 2016 में निचला स्तर छुआ था जब यह आंकड़ा निगेटिव 0.1 फीसदी पर रह गया था। इस साल सितंबर में थोक महंगाई 0.33 फीसदी थी जबकि पिछले साल अक्टूबर में 5.54 फीसदी थी।

खाद्य वस्तुओं में कोई राहत नहीं

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्य में कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि आलू के मूल्य में गिरावट का रुख दूसरे महीने भी जारी रहा। अक्टूबर में इसके मूल्य में 19.60 फीसदी की गिरावट आई जबकि सितंबर में इसके दाम 22.50 फीसदी घटे थे। लेकिन सब्जियों के मूल्य में 38.91 फीसदी उछाल देखा गया जबकि पिछले महीने इसमें 19.43 फीसदी तेजी रही थी। दालों में महंगाई दर 16.57 फीसदी रही जबकि पिछले महीने इसमें 17.94 फीसदी मूल्य वृद्धि रही थी। इसके विपरीत फलों में महंगाई घटकर 2.72 फीसदी रह गई। सितंबर में इनकी मूल्य वृद्धि 6.67 फीसदी रही थी।

गैर खाद्य वस्तुओं में नरमी

अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 9.80 फीसदी बढ़ गई जबकि गैर खाद्य वस्तुओं में 2.35 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। मैन्यूफैक्चर्ड गुड्स की कीमत में अक्टूबर में 0.84 फीसदी की गिरावट रही।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

रेटिंग एजेंसी इकरा की इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट फ्यूल, पावर, मिनरल और क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस के मूल्य में कमी के कारण आई है। हालांकि खाद्य वस्तुओं और गैर खाद्य वस्तुओं और मैन्यूफैक्चर्ड फूड प्रोडक्ट में तेजी का रुख रहा। थोक मूल्य सूचकांक की बास्केट के दूसरे उत्पादों में फ्यूल एंड लाइट कैटागरी में कीमतें 8.27 फीसदी घट गईं।

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के करेंसी प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा कि थोक मूल्यों के ट्रेंड से संकेत मिलता है कि मैन्यफैक्चरिंग, मेटल्स और केमिकल प्रोडक्ट्स में मांग की कमी बनी हुई है। थोक मूल्यों में नरमी रहने के कारण आरबीआइ ब्याज दरों में एक कटौती पर विचार कर सकता है। हालांकि आरबीआइ फुटकर मूल्यों पर इसके लिए ज्यादा ध्यान देता है। आरबीआइ की अगली मौद्रिक समीक्षा दिसंबर में होगी।

थोक महंगाई का रुख

माह    महंगाई दर (फीसदी में)

अप्रैल          3.24

मई             2.79

जून            2.02

जुलाई          1.08

अगस्त        1.17

सितंबर         0.33

अक्टूबर       0.16

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