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सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद डॉट ने टेलीकॉम कंपनियों को मध्य रात्रि तक बकाया चुकाने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट बेहद कड़े रुख के बाद दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को बकाए का भुगतान आज शुक्रवार...
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद डॉट ने टेलीकॉम कंपनियों को मध्य रात्रि तक बकाया चुकाने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट बेहद कड़े रुख के बाद दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को बकाए का भुगतान आज शुक्रवार की रात 11.59 बजे तक करने का आदेश दिया है। इसके बाद भारती एयरटेल ने 20 फरवरी तक 10,000 करोड़ रुपये जमा करने की पेशकश की है। सुप्रीम कोर्ट ने 1.47 लाख करोड़ रुपये समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का भुगतान करने के आदेश का अनुपालन न होने पर कड़ा रुख अख्तियार किया। दूरसंचार विभाग के डेस्क ऑफीसर द्वारा आदेश लागू किए जाने पर कोर्ट ने कहा कि ऐसी बकवास कौन कर रहा है। अगर अदालत का आदेश एक डेस्क अधिकारी स्थगित कर सकता है तो बेहतर होगा, सुप्रीम कोर्ट को बंद कर दिया जाए।

कंपनियों को अवमानना कार्रवाई की चेतावनी

जस्टिस अरुण मिश्रा, एस. अब्दुल नजीर और एम. आर. शाह की बेंच ने एजीआर मामले में जारी आदेश का अनुपालन दूरसंचार विभाग के डेस्क ऑफीसर द्वारा स्थगित किए जाने कड़ा रुख अपनाते हुए टेलीकॉम कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टरों और डायरेक्टरों से सवाल किया है कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

डेस्क ऑफीसर ने लागू नहीं किया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर पर जारी आदेश का टेलीकॉम कंपनियों द्वारा पालन न किए जाने पर कहा कि हमें नहीं मालूम यह बकवास कौन कर रहा है। क्या देश में कोई कानून नहीं बचा है। सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर पर आदेश के अनुपालन को दूरसंचार विभाग के डेस्क ऑफीसर द्वारा रोके जाने पर भी कड़ी नाराजगी जताई।

यह देश छोड़कर कहीं और ज्यादा ही बेतरह

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी कि इस देश में न रहना ही बेहतर होगा। देश को छोड़ देना ही बेहतर है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि अगर डेस्क अधिकारी को अदालत का आदेश स्थगित करने का अधिकार है तो हमें सुप्रीम कोर्ट ही बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एजीआर के मसले पर कोर्ट ने रिव्य पिटीशन खारिज कर दी है। इसके बावजूद कंपनियों द्वारा एक भी पैसा जमा नहीं कराया गया।

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