Advertisement

फिर विवादों में इन्फोसिस का शीर्ष मैनेजमेंट, अनैतिक तरीके अपनाने का आरोप

देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस का शीर्ष मैनेजमेंट एक बार फिर विवादों में घिर गया है।...
फिर विवादों में इन्फोसिस का शीर्ष मैनेजमेंट, अनैतिक तरीके अपनाने का आरोप

देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस का शीर्ष मैनेजमेंट एक बार फिर विवादों में घिर गया है। व्हिसिलब्लोअर ने आरोप लगाया है कि कंपनी शॉर्ट टर्म रेवेन्यू और प्रॉफिट्स बढ़ाने के लिए अनैतिक तरीके अपना रही है। इस आरोप पर कंपनी ने कहा है कि व्हिसिलब्लोअर की शिकायत कंपनी की ऑडिट कमेटी के समक्ष पेश की गई है।

कंपनी बोर्ड और अमेरिकी रेगुलेटर को भेजी शिकायत

खबरों के मुताबिक खुद को ईमानदार कर्मचारी कहने वाले एक अज्ञात समूह ने कंपनी के बोर्ड और अमेरिकी रेगुलेटर यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को पत्र लिखकर ये आरोप लगाए हैं। इस समूह का कहना है कि अपने आरोपों को साबित करने के लिए उनके पास सबूत के तौर पर ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग हैं।

पॉलिसी के अनुसार शिकायत पर गौर होगाः इन्फोसिस

ये खबरें आने के बाद सोमवार को इन्फोसिस ने एक बयान में कहा कि कंपनी की परंपरा के अनुसार व्हिसिलब्लोअर की शिकायत ऑडिट कमेटी को सौंप दी गई है। कंपनी की व्हिसिलब्लोअ पॉलिसी के अनुसार शिकायत का निस्तारण किया जाएगा।

पहले भी लगे थे कंपनी पर आरोप

इन्फोसिस को पहले भी व्हिसिलब्लोअर की ओर से शिकायतें मिलती रही हैं और उनमें गवर्नेंस में खामियों के आरोप लगाए गए थे। इसी तरह की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि इजरायल की ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी कंपनी पनाया को खरीदने के समय इन्फोसिस ने गलत रास्ता अपनाया। इन्फोसिस ने कहा था कि उसकी आंतरिक ऑडिट कमेटी को जांच करने के बाद आरोपों के समर्थन में को सबूत नहीं मिले।

गतिरोध के चलते विशाल सिक्का ने दिया था इस्तीफा

कॉरपोरेट गवर्नेंस में गड़बड़ी के आरोपों और कंपनी के पूर्व चीफ फाइनेंस ऑफीसर (सीएफओ) राजीव बंसल और दूसरे पूर्व अधिकारियों को सेवरेंस पे का भुगतान करने पर इन्फोसिस के संस्थापकों और तत्कालीन प्रबंधन के बीच जबर्दस्त टकराव की स्थिति पैदा हो गई। यह गतिरोध कई महीनों तक चलता रहा। इसकी वजह से कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी कंपनी छोड़कर चले गए।

सेबी को चुकाए थे 34 लाख रुपये

इन्फोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणि को चेयरमैन के तौर पर वापस लाया गया। पिछले साल जनवरी में सलिल पारेख ने कंपनी के सीईओ के तौर पर ज्वाइन किया। कंपनी ने बंसल को किए गए भुगतान की जानकारी देने में कथित िवफलता के लिए सेबी का मामला सेबी सुलझा लिया है। उसने सेबी को 34.34 लाख रुपये का भुगतान किया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad