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सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बोले शरद पवार- सरकार गठन को लेकर नहीं हुई कोई चर्चा

महाराष्ट्र में लागू राष्ट्रपति शासन के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी...
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बोले शरद पवार- सरकार गठन को लेकर नहीं हुई कोई चर्चा

महाराष्ट्र में लागू राष्ट्रपति शासन के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद शरद पवार ने कहा कि राज्य में सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई। यह मुलाकात सिर्फ कांग्रेस और एनसीपी के बारे में चर्चा करने के लिए थी। उन्होंने कहा कि हमने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति को लेकर विस्तार से चर्चा की। मैंने उन्हें संक्षिप्त में इससे अवगत कराया। मिस्टर एके एंटनी भी मौजूद थे। दोनों पार्टियों कांग्रेस और एनसीपी के कई नेता मिलेंगे और हमें बताएंगे। 

वहीं, शिवसेना नेता संजय राउनत ने भी शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की। राउत ने कहा कि सरकार बनाने की जिम्मेदारी हमारी नहीं थी। जिनकी थी वह भाग गए लेकिन मुझे विश्वास है कि जल्द ही सरकार बनेगी।

मुलाकात से पहले पवार के बयान ने बढ़ाया सस्पेंस

शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक सरकार के गठन को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि तीनों दलों ने पिछले दिनों एक मीटिंग में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर सहमति बनने की बात कही थी। हालांकि सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले शरद पवार ने एक टिप्पणी कर सस्पेंस बढ़ा दिया था कि एनसीपी और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। इसके अलावा बीजेपी और शिवसेना साथ में लड़े थे, जिन्हें जनादेश मिला है। ऐसे में बीजेपी और शिवसेना से ही पूछा जाना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं। हम अपनी राजनीति करेंगे।

आठवले ने पेश किया बीजेपी-शिवसेना में सहमति का फॉर्मूला

इस बीच बीजेपी के साथ एनडीए का हिस्सा रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रामदास आठवले ने शिवसेना के साथ सहमति का फॉर्म्युला पेश किया है। आठवले ने कहा कि मैंने संजय राउत से बात की और तीन साल बीजेपी और दो साल शिवसेना के सीएम का फॉर्म्युला पेश किया। आठवले ने कहा कि संजय राउत ने कहा कि यदि बीजेपी इस पर राजी होती है तो हम सोचेंगे। मैं अब बीजेपी से बात करूंगा। बता दें कि इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि बीजेपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाएंगे।

जमीयत ने सोनिया को लिखा पत्र

इस बीच खबर है कि मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर शिवसेना को समर्थन न देने की बात कही है। गौरतलब है कि शिवसेना लंबे समय से हिंदुत्व की राजनीति करती रही है, जबकि कांग्रेस खुद को सेक्युलर पार्टी बताती रही है।

12 नवंबर से राज्य में है राष्ट्रपति शासन

24 अक्टूबर को राज्य के चुनावी नतीजे आने के बाद से सरकार गठन पर सहमति न बनने के चलते सूबे में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

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