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तेंदुलकर की पीएम को चिट्ठी, सीजीएचएस में पदक विजेताओं को भी करें शामिल

दिग्गज बल्लेबाज और राज्‍यसभ्‍ाा सदस्‍य सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर...
तेंदुलकर की पीएम को चिट्ठी, सीजीएचएस में पदक विजेताओं को भी करें शामिल

दिग्गज बल्लेबाज और राज्‍यसभ्‍ाा सदस्‍य सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देश के सभी अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में शामिल करने की दरख्वास्त की है। खिलाड़ियों की स्वास्‍थ्य संबंधी मुश्किलों का जिक्र करते हुए तेंदुलकर ने अपनी चिट्ठी में हॉकी ओलंपिक स्वर्ण ‌पदक विजेता मोहम्मद शाहिद के अंतिम दिनों का उदाहरण दिया है। यकृत से जुड़ी बीमारी के कारण शाहिद का बीते साल जुलाई में निधन हो गया था।

24 अक्टूबर को लिखे पत्र में तेंदुलकर ने कहा है,"देश के सभी खिलाड़ियों की ओर से मैं आग्रह करता हूं कि आप हस्तक्षेप करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को सीजीएचएस सुविधाओं के पात्र खिलाड़ियों की सूची में शामिल कराएं।" सीजीएचएस सुविधाओं का फायदा केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलता है जो इससे जुड़े मेडिकल केंद्रों पर उपचार करा सकते हैं।

तेंदुलकर ने पत्र में कहा है कि वे इस मुद्दे को खेल मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों के साथ उठा चुके हैं। उन्होंने लिखा है,"स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विचार का समर्थन किया है। लेकिन साथ्‍ा ही 14 सितंबर को अपने जवाब में सीजीएचएस योजना के तहत विस्तृत रूप से खिलाड़ियों को शामिल करने के ‌लिए अक्षमता जताई है। मैं उनकी स्थिति समझ सकता हूं।"

तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री से पायलट परीक्षण के तहत कम से कम अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं (गैर सरकारी कर्मचारी) के नाम पर विचार करने को कहा है, जिसके लागत-फायदों का खेल मंत्रालय आकलन कर सकता है। उन्होंने कहा है कि एक बार लागत-फायदों के आकलन के बाद इन्हें चरणबद्ध रूप से खिलाड़ियों के अतिरिक्त वर्ग को भ्‍ाी दिया जा सकता है।

उन्होंने पत्र में कहा है,"सभी खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाती। इसलिए यदि हम अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं के सीमित पूल पर भी विचार करते हैं तो अपने महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक मोहम्मद शाहिद के प्रति उदासीनता जैसी घटनाओं से बच सकते हैं।" अपने कॅरिअर के दौरान आई गंभीर चोटों का हवाला देते हुए तेंदुलकर ने लिखा है कि इस दौरान खिलाड़ी को काफी शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। साथ ही चिकित्सकीय खर्चा खिलाड़ियों पर अतिरिक्त भार डालता है।

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