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जब साल 2008 में बम धमाकों से दहल गया था श्रीलंका, लिट्टे था जिम्मेदार

श्रीलंका सिलसिलेवार सात बम धमाकों से दहल गया है। रविवार सुबह ईस्टर के मौके पर तीन चर्च और तीन होटलों को...
जब साल 2008 में बम धमाकों से दहल गया था श्रीलंका, लिट्टे था जिम्मेदार

श्रीलंका सिलसिलेवार सात बम धमाकों से दहल गया है। रविवार सुबह ईस्टर के मौके पर तीन चर्च और तीन होटलों को निशाना बनाया गया है। वहीं, सातवां धमाका कोलंबो जू के पास हुआ। इन धमाकों में 160 लोग मारे गए हैं और कम से कम 300 के आस-पास घायल हैं।

यह धमाका उस वक्त हुआ, जब ईस्टर की प्रार्थना के लिए लोग चर्च में एकत्रित हुए थे। पहला धमाका कोलंबो में सैंट एंटनी चर्च और दूसरा धमाका राजधानी के बाहर नेगोम्बो कस्बे के सेबेस्टियन चर्च में हुआ। वहीं तीसरा धमाका पूर्वी शहर बाट्टिकालोआ के चर्च में हुआ। इसके साथ ही द शांगरीला, द सिनामॉन ग्रैंड और द किग्सबरी होटल को भी निशाना बनाया गया। पीटीआई के मुताबिक, पुलिस प्रवक्ता रूवान गुनसेकेरा ने कहा कि विस्फोट रविवार सुबह (स्थानीय समयानुसार) 8.45 बजे हुआ।

2008 में दहला था श्रीलंका

ऐसे ही तकरीबन दस साल पहले कोलंबो में 2008 में अलग-अलग महीनों में कई बम धमाके हुए थे। जून 2008 में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुए बम हमले में 22 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह बम लोगों से खचाखच भरी दो बसों में रखे गए थे। उस समय कई दिनों तक कोलंबो में कई बम हमले हुए थे जिन में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया था। इससे तीन दिन पहले ही कोलंबो में कम से कम 24 लोग तब घायल हुए जब भीड़भाड़ वाली एक ट्रेन में बम विस्फोट हुआ। उससे कुछ दिन पहले कोलंबो के देहीवेला रेलवे स्टेशन पर हुए एक ऐसे ही बम हमले में आठ लोगों की मौत हो गई थी।

जनवरी 2008 में श्रीलंका के मोनारगला जिले में एक यात्री बस में शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ था जिसमें 23 व्यक्तियों की मौत हो गई और 67 घायल हो गए थे। रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि तमिल विद्रोहियों ने बटाला से ओकमपिटिया जा रही बस में विस्फोट किया। बस में बड़ी संख्या में स्कूली छात्र सवार थे।

लिट्टे को माना गया था जिम्मेदार

इन हमलों के लिए लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (लिट्टे) को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा था। लिट्टे का प्रमुख वी प्रभाकरण था। यह हमले ऐसे समय पर हो रहे थे जब श्रीलंका के उत्तरी हिस्से में श्रीलंकाई सेना और लिट्टे विद्रोहियों के बीच भीषण लड़ाई चल रही थी। उस समय ये माना गया था कि कोलंबो में बढ़ते हुए बम हमले, लिट्टे की हताशा का एक संकेत था। श्रीलंका के पूर्वी हिस्से में भीषण संघर्ष के बाद सेना का दावा था कि उसने विद्रोहियों को इस इलाके से खदेड़ दिया और अब संघर्ष उत्तरी इलाकों में जारी है. इसके ठीक एक साल बाद वी प्रभाकरण मारा गया था।

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