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आवरण कथा/नजरिया: “वे जानते हैं कौन सी फिल्म करनी है”

“सुलतान की स्क्रिप्ट मैंने उन्हें दिमाग में रखते हुए लिखी थी। सबसे पहले किसी निर्देशक की जुबान पर...
आवरण कथा/नजरिया: “वे जानते हैं कौन सी फिल्म करनी है”

“सुलतान की स्क्रिप्ट मैंने उन्हें दिमाग में रखते हुए लिखी थी। सबसे पहले किसी निर्देशक की जुबान पर यदि किसी अभिनेता का नाम आता है, तो वह सलमान खान हैं”

मैं भाग्यवान हूं कि करिअर के शुरूआती दौर में मैंने सलमान खान के साथ काम किया है। लोगों के विश्वास और उनकी एक्टिंग करोड़ों सिनेमा प्रेमियों को उनसे जोड़ता है। इसी ने सलमान को सुपरस्टार बनाया। हर एक्टर का फिल्म निर्देशक के साथ तालमेल बेहद जरूरी है। जिस तरह की फिल्में उन्होंने की हैं, उससे उन्हें 30 साल से इतनी मोहब्बत इस इंडस्ट्री में मिल रही है। कई बार अच्छे एक्टर को उसके मुताबिक फिल्में न मिलें, तो वह गायब हो जाता है। फिल्ममेकर की भी इसमें अहम भूमिका होती है।

सुलतान की स्क्रिप्ट मैंने उन्हें दिमाग में रखते हुए लिखी थी। सबसे पहले किसी निर्देशक की जुबान पर यदि किसी अभिनेता का नाम आता है, तो वह सलमान खान हैं। इस दशक की फिल्मों को भी देखें तो उन्होंने दबंग से लेकर बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग की है।

मैंने और आदित्य चोपड़ा, दोनों ने सलमान को ध्यान में रखते हुए ही सुलतान की कहानी पर काम किया था। यदि सलमान यह फिल्म नहीं करते तो किसी और के पास ये स्क्रिप्ट नहीं जाती। दरअसल, कुछ फिल्में होती हैं जिसमें आप उस किरदार के लिए खास अभिनेता को ही चाहते हैं। इसलिए पहले हमने सलमान को कहानी सुनाई, उसके बाद स्क्रिप्ट लिखी।

हमने एक साथ सुल्तान, टाइगर जिंदा है और भारत जैसी फिल्में कीं। अभिनेता और निर्देशक के बीच की एक ट्यूनिंग होती है। इससे एक-दूसरे को समझना आसान हो जाता है। समय के साथ हमारे रिश्ते और निखरे हैं। उनके साथ काम करने में मजा आता है। सिर्फ फिल्म सेट पर हम एक दूसरे के लिए अभिनेता और निर्देशक होते हैं। वे मेरे बड़े भाई की तरह हैं। मेरे करिअर में उनका बड़ा योगदान रहा है।

सलमान खान

सलमान में सबसे बड़ी खासियत है कि वे अपने रोल के लिए किसी भी स्किल को बड़ी जल्दी और अच्छे ढंग से सीख लेते हैं। सुलतान से लेकर भारत तक में कई ऐसे मुश्किल सीन हैं, जो हम दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण थे। लेकिन सलमान से उन्हें शानदार ढंग से किया।

मुझे लगता है कि जितने बड़े वे सुपरस्टार हैं उतने ही सामान्य वे सेट पर होते हैं। हर चीज को सामान्य नजरिये से देखते हैं। उन्हें बखूबी पता है कि उनकी फिल्मों के दर्शक आम हिंदुस्तानी हैं। वे जानते हैं कैसी फिल्में करनी हैं। सिनेमा का काम लोगों का मनोरंजन करना है। सलमान उसी तरह की फिल्मों में काम करते हैं, जिसमें इमोशन, कॉमेडी, रोमांस, एक्शन... थोड़ा-थोड़ा हर एंगल हो। यह बड़े दर्शक वर्ग को आकर्षित करता है।

मैंने उनके साथ लंबा वक्त बिताया है। मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि सलमान अपने प्रशंसकों या मीडिया के सामने धैर्य खो देते हैं। एक एक्टर की भी अपनी निजी जिंदगी होती है। इतने फिल्मकारों और कलाकारों के साथ उन्होंने काम किया है। आज तक कोई ऐसी समस्या नहीं दिखी है।

हालांकि बॉलीवुड सिर्फ खान तिकड़ी- सलमान, शाहरुख और आमिर की बदौलत है, मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है। इनके अलावा भी कई अभिनेता हैं जो तीन-चार दशक से इंडस्ट्री में बेहतरीन काम कर रहे हैं। किसी भी अभिनेता के लिए सबसे फायदे की बात होती है कि उसे उसका ऑडियंस मिल जाए। इन तीनों के अलावा, अमिताभ बच्चन, गोविंदा, अजय देवगन, अक्षय कुमार की अपनी अलग पहचान है। सलमान, शाहरुख और आमिर की खासियत यह है कि इन्होंने बदलते समय के साथ ऑडियंस बनाए रखी। जब दर्शकों की कहानी फिल्म के किरदार के साथ मिलती है, तो वे ज्यादा आकर्षित होते हैं। इसका फायदा इन तीनों को मिला है।

समय के साथ हर चीज बदलती है। ओटीटी में नए लोगों को भी मौके मिल रहे हैं। अब कंटेंट भी अच्छा आ रहा है। फिल्म बनाना मुश्किल होगा क्योंकि हमें थोड़ा हटकर सोचना होगा। जिस तेजी के साथ कंटेंट बदल रहा है, हमें तेजी से उसके साथ चलना होगा। पुराना कंटेंट अब नहीं चलेगा। लोगों को लगता है कि सिनेमा खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होगा।

(अली अब्बास जफर सुल्तान (2016), टाइगर जिंदा है (2017) और भारत (2019) के निर्देशक हैं। नीरज झा से बातचीत पर आधारित )

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