Advertisement

सेना में महिलाओं के लिए भी होगा पुरुषों जैसा स्‍थायी कमीशन, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

सेना में स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गई महिला अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यानी...
सेना में महिलाओं के लिए भी होगा पुरुषों जैसा स्‍थायी कमीशन, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

सेना में स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गई महिला अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यानी आज अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए सेना में महिलाओं को पुरुषों जैसा स्थायी कमीशन दिए जाने को मंजूरी दे दी। साथ ही कोर्ट ने इसके लिए समय भी निश्‍चित कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि तीन माह के भीतर महिलाओं के लिए सेना में स्‍थायी कमीशन का गठन किया जाए। 

बता दें कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के मार्च 2010 के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सेना को अपनी सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। केंद्र का कहना था कि भारतीय सेना में यूनिट पूरी तरह पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे। अभी सिर्फ 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष सैनिकों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प दिया जाता है।

14 साल से ऊपर सेवा दे चुकी महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्र को महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि 14 साल से ऊपर सेवा दे चुकी महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा और सैनिकों के पास शारीरिक क्षमता होनी चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि स्थायी कमीशन सेना में सभी महिला अधिकारियों को सेवा में लागू करेगा, चाहे उनकी सेवा को कितने वर्षों हो गए हो।

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब रोक नहीं लगाई गई, फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया। हाईकोर्ट के फैसले पर कार्रवाई करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के 9 साल के फैसले के बाद केंद्र 10 धाराओं के लिए नई नीति लेकर आया।

दृष्टिकोण और मानसिकता बदले केंद्र

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि सभी नागरिकों को अवसर की समानता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे। सेना में सच्ची समानता लानी होगी। 30 फीसदी महिलाएं वास्तव में लड़ाकू क्षेत्रों में तैनात हैं।

कैप्टन तान्या शेरगिल का दिया गया उदाहरण

केंद्र सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थाई कमीशन देने से इनकार स्टीरियोटाइप्स पूर्वाग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं। महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कैप्टन तान्या शेरगिल का उदाहरण दिया।

वायुसेना और नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन का विकल्प

भारतीय वायुसेना और नौसेना महिला अफसरों को स्थायी कमीशन में आने का विकल्प देते हैं, हालांकि यह सेना में अभी तक नहीं है। इसके अलावा वायुसेना में महिलाएं युद्धक सेवाओं (फ्लाइंग और ग्राउंड ड्यूटी) में शामिल हो सकती हैं। शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महिलाएं वायुसेना में ही हेलिकॉप्टर से लेकर फाइटर जेट तक उड़ा सकती हैं। नौसेना में भी महिलाएं लॉजिस्टिक्स, कानून, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, पायलट और नेवल इंस्पेक्टर कैडर में सेवाएं दे सकती हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था- महिला सैनिकों को भी मिले स्थायी कमीशन

रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के मार्च 2010 के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने सेना को अपनी सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। केंद्र का कहना था कि भारतीय सेना में यूनिट पूरी तरह पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement