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समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में फैसला टला, एनआईए कोर्ट 14 मार्च को करेगी सुनवाई

करीब 12 साल पहले पानीपत के पास समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए ब्लास्ट मामले में फैसला टल गया है।...
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में फैसला टला, एनआईए कोर्ट 14 मार्च को करेगी सुनवाई

करीब 12 साल पहले पानीपत के पास समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए ब्लास्ट मामले में फैसला टल गया है। पंचकुला की स्पेशल एनआइए कोर्ट में मामले पर अब 14 मार्च को सुनवाई होगी। घटना में 68 ट्रेन यात्री मारे गए थे और काफी संख्‍या में लोग घायल हो गए थे। मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्‍तान के रहने वाले थे।

स्पेशल एनआइए कोर्ट में सोमवार को चारों आरोपियों असीमानंद, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान की पेशी हुई। इसके बाद पाकिस्तानी नागरिक की ओर से अधिवक्ता ने अर्जी दी कि य‍ह व्‍यक्ति इस हादसे का पीड़ित है और मामले में कुछ अतिरक्ति सुबूत देना चाहता है। इस व्‍यक्ति के परिजन समझौता एक्‍सप्रेस ट्रेन धमाके में मारे गए थे। इस पर जज जगदीप सिंह ने सुनवाई के बाद एनआइए से 14 मार्च को जवाब मांगा है।

छह मार्च को हो गई थी बहस पूरी

इससे पहले मामले में बहस होने के बाद कोर्ट ने 6 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले के आठ आरोपियों में एक की हत्या हो गई थी और तीन को पीओ घोषित कर दिया गया था। अब तक आरोपी असीमानंद को ही जमानत मिली है, बाकी तीनों आरोपित जेल में हैं।

26 जुलाई 2010 को मामला एनआइए को सौंपा गया था। 26 जून 2011 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। आरोपियों पर आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 307 और विस्फोटक पदार्थ, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई।

पहले पेश नहीं हुआ था पाकिस्तानी गवाह

एनआइए ने मामले में कुल 224 गवाहों को पेश किया, जबकि बचाव पक्ष ने कोई गवाह नहीं पेश किया। केवल अपने दस्तावेज और कई जजमेंट्स की कॉपी ही कोर्ट में पेश की। मामले में कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी गवाहों को पेश होने के लिए कई बार मौका दिया गया, लेकिन वह एक बार भी कोर्ट में नहीं आए

ये है मामला

भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में ब्लास्ट हुआ था। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था। हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे। धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे।

मामले की जांच के लिए हरियाणा पुलिस की ओर से 20 फऱवरी 2007 को एसआईटी का गठन किया गया था। लोगों के बयानों पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए। बताया गया कि ये दोनों ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए। इसके बाद धमाका हुआ। संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का नकद इनाम देने की भी घोषणा की थी।

सूटकेस के कवर से हुआ खुलासा

हरियाणा पुलिस ने इंदौर से 15 मार्च, 2007 को दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। यह मामले में पहली गिरफ्तारी थी। पुलिस को घटनास्थल से दो ऐसे सूटकेस मिले, जो फट नहीं पाए थे। सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच संदिग्धों तक पहुंची। ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खरीदा गया था। इसी तरह बाद में हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए। इसके तार आपस में जुड़े हुए बताए गए।

जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को 'अभिनव भारत' के शामिल होने के संकेत मिले थे। इसके बाद स्वामी असीमानंद को मामले में आरोपित बनाया गया। एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे।  

 

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