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हरीश साल्वे ने आर्थिक सुस्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार ठहराया

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने 2जी स्पेक्ट्रम केस में फैसलों का हवाला देकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने...
हरीश साल्वे ने आर्थिक सुस्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार ठहराया

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने 2जी स्पेक्ट्रम केस में फैसलों का हवाला देकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को आर्थिक मंदी में धकेल दिया। टेलीकॉम कंपनियों को जारी 112 स्पेक्ट्रम लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक झटके में रद्द किए जाने के दा मंदी का दौर शुरू हो गया था।

एक झटके में रद्द कर दिए 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस

एक इंटरव्यू में साल्वे ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट को सीधे तौर पर जिम्मेदार मानते हैं। हालांकि वह मानते हैं कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस देने के लिए संबंधित लोग जिम्मेदार हैं। अनायास सभी लाइसेंस रद्द हो गए। जब कोई विदेशी निवेश करता है तो नियम है कि एक भारतीय पार्टनर होना चाहिए। विदेशी निवेशक को नहीं पता कि उसने लाइसेंस कैसे हासिल किया। उसने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पेन से लिख दिया और सभी कंपनियां बाहर हो गईं।

अप्रैल 2012 में रद हुए थे लाइसेंस

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया था कि 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के तरीके से खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अप्रैल 2011 में सीबीआइ द्वारा चार्जशीट दाखिल की गई। फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए। साल्वे ने टेलीकॉम कंपनियों की ओर से  केस लड़ा था। सीबीआइ अदालत ने दिसंबर 2017 में पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मुख्य आरोपी ए. राजा और कनिमोझी के अलावा 15 अन्य को बरी कर दिया।

कॉमर्शियल केसों में कोर्ट के अस्थिर रुख से निवेशकों की चिंता

विदेशी निवेश पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि वोडाफोन केस में नियमों में बदलाव पूर्वर्ती तौर पर लागू होने से निवेश जोखिम भरा हो गया। भारत में न्यायपालिका में लोगों को पूरा भरोसा है कि वह न्याय करेगी। लेकिन वोडाफोन केस झटका साबित हुआ। निवेशक सोचने लगे कि अगर आप ट्रिब्यूनल में जीत गए तो वे कानून को पिछली तारीख से लागू कर देंगे। उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल मामलों में सुप्रीम कोर्ट का रुख अस्थिर रहा है। यह बात निवेशकों के लिए बड़ी चिंता का कारण है।

कोल ब्लॉक आवंटन रद्द होने से अर्थव्यवस्था पर दबाव

कोयले खदान आवंटन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट ने कोयला खदान आवंटन भी एक झटके में रद्द कर दिया। प्रत्येक केस के गुण-दोष पर गौर नहीं किया। कोल इंडस्ट्री में आया विदेशी निवेश बर्बाद हो गया। इससे क्या हुआ। इंडोनेशिया और अन्य देशों में कोयले की कीमत भारत से कम हो गईं और आयात सस्ता पड़ने लगा। कोयले के आयात से अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ने लगे और बेरोजगारी बढ़ गई।

आयरन ओर खदान रद्द करना भी बड़ी भूल

अप्रैल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 218 कोल ब्लॉकों का आवंटन अवैध और मनमाना करार दे दिया। ये आवंटन 1993 से 2011 के बीच किया गया था। अदालत ने सितंबर 2014 में चार को छोड़कर बाकी सभी आवंटन रद्द कर दिए। साल्वे ने गोवा में आयरन ओर खदानों की लीज रद्द करने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट की बड़ी भूल करार दिया।

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