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'द इकोनॉमिस्ट’ का मोदी पर निशाना, लिखा- वह भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की कर रहे हैं कोशिश

लंदन से प्रकाशित होने वाली अंग्रेजी मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ के 25 जनवरी 2020 के अंक की कवर स्टोरी में...
'द इकोनॉमिस्ट’ का मोदी पर निशाना, लिखा- वह भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की कर रहे हैं कोशिश

लंदन से प्रकाशित होने वाली अंग्रेजी मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ के 25 जनवरी 2020 के अंक की कवर स्टोरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया है। इस अंक की कवर स्टोरी है- असहिष्णु भारत, मोदी कैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं । कवर स्टोरी में बताया गया है कि पीएम सहिष्णु और बहुधार्मिक भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की कोशिशें कर रहे हैं। मैगजीन ने इस स्टोरी को ट्वीट किया है जिसके बाद सोशल मीडिया पर नई बहस भी शुरू हो गई है।

स्टोरी में मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के अलावा आर्थिक नातियों पर सवाल खड़ा किया गया है। इसमें कहा गया है कि सीएए एनडीए सरकार का एक महत्वाकांक्षी कदम है। सरकार की नीतियां पीएम मोदी को चुनाव जीतने में मदद कर सकती हैं लेकिन यह देश के लिए 'राजनीतिक जहर' हो सकती हैं। पीएम की इस कोशिश से भारत में रहने वाले 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं।

'हिंदू रक्षक के तौर पर करेंगे पेश'

इसमें कहा गया है कि धर्म और राष्ट्रीयता के आधार पर विभाजन ने भाजपा को मजबूत किया है और लोगों का ध्यान गिरती अर्थव्यवस्था से हट गया है। एनआरसी लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है जिसके जरिए भाजपा को फायदा होगा। एनआरसी में लिस्ट बनाई जाएगी जिसमें सुधार किए जाएंगे और फिर से लिस्ट बनाई जाएगी। इससे मोदी खुद को देश के हिन्दुओं के रक्षक के तौर पर पेश करेंगे।

'देश के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएंगी'

स्टोरी में कहा गया है कि संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमतर करने की पीएम मोदी की नई कोशिशें देश के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएंगी जो दशकों तक चल सकता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि मोदी ने मुस्लिम समुदाय के उन लोगों का भी 'हिसाब-किताब' लगाया है जो अल्पसंख्यकों के लिए भाजपा के स्टैंड से सहानुभूति रखते हैं और 'यह कारण' उन लोगों को भाजपा दफ्तर में जगह देने के लिए काफी है।

महंगाई से पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था

इसमें रेलवे टिकट, मोबाइल टैरिफ और खाने की चीजों की महंगाई के चलते भारत की गंभीर अर्थव्यवस्था पर सवाल खड़ा किया गया है। देश में बढ़ती महंगाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को नाकाम कर रहा है। साथ ही आगामी बजट में कई लुभावनी घोषणाएं भी की जा सकती हैं। .

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