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एमएसएमई को सरकारी पैकेज का इंतजार, लॉकडाउन से 20% इकाइयां बंदी के कगार पर

लॉकडाउन के चलते एमएसएमई कंपनियों के सामने बंद होने की नौबत आती जा रही है। इन कंपनियों को करीब एक महीने...
एमएसएमई को सरकारी पैकेज का इंतजार, लॉकडाउन से 20% इकाइयां बंदी के कगार पर

लॉकडाउन के चलते एमएसएमई कंपनियों के सामने बंद होने की नौबत आती जा रही है। इन कंपनियों को करीब एक महीने से सरकार की तरफ से राहत पैकेज का इंतजार है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकारी विभागों में इस मुद्दे पर कम से कम दो हफ्ते से रोजाना चर्चा भी हो रही है, लेकिन पैकेज की घोषणा कब होगी इस पर अभी तक संशय बना हुआ है। प्रधानमंत्री कार्यालय में भी इस सिलसिले में कई बैठकें हुई हैं। सरकार जिन उपायों पर विचार कर रही है उनमें नए कर्ज पर गारंटी देना भी शामिल है। इससे एमएसएमई इकाइयों को नया कर्ज लेने में आसानी होगी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (फिस्मे)  महासचिव अनिल सक्सेना का कहना है कि पैकेज में यह देरी काफी महंगी पड़ेगी। हो सकता है 15 से 20 फ़ीसदी इकाइयां बंद हो जाएं। इसका सबसे ज्यादा असर रोजगार पर पड़ेगा। सक्सेना के अनुसार राहत पैकेज को ज्यादा दिनों तक टाला नहीं जा सकता।

कई राज्यों ने की घोषणाएं, लेकिन इकाइयों के लिए मदद लेना आसान नहीं

इस बीच राज्य सरकारों ने भी अपनी तरफ से एमएसएमई के लिए कुछ घोषणाएं की हैं। महाराष्ट्र सरकार इन इकाइयों के कर्मचारियों के लिए दो महीने का वेतन देने पर विचार कर रही है भारत में सबसे ज्यादा 17 लाख एमएसएमई इकाइयां महाराष्ट्र में हैं और इनमें करीब डेढ़ करोड़ लोग काम करते हैं। छह लाख इकाइयां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हैं। हरियाणा सरकार ने एमएसएमई के लिए कर्ज पर ब्याज में छह महीने तक छूट देने का फैसला किया है। इसके लिए हरियाणा एमएसएमई रिवाइवल इंटरेस्ट बेनिफिट स्कीम को मंजूरी दी गई है। यह सुविधा राज्य में 15 मार्च 2020 तक पंजीकृत एमएसएमई इकाइयों को मिलेगी। हालांकि भारद्वाज का कहना है कि इस तरह की स्कीमों  के जरिए मदद लेना आसान नहीं है, पैसा और समय दोनों लिहाज से। बेहतर होता कि रिजर्व बैंक सीधे बैंकों से कहता कि जितने भी नए कर्ज हैं उन पर ब्याज में निश्चित छूट दे दी जाए। सरकार को भी एमएसएमई के कर्ज की गारंटी देनी चाहिए।

लॉकडाउन की अवधि के लिए वेतन देने का सुझाव

फिस्मे ने सरकार को कुछ सुझाव भी दिए हैं। इनमें लॉकडाउन की अवधि के लिए कर्मचारियों को वेतन देने में मदद, तीन महीने तक नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के पीएफ का भुगतान, बिजली का फिक्स्ड चार्ज तीन महीने तक खत्म करना, किसी भी एमएसएमई को मौजूदा परिस्थितियों में एनपीए घोषित ना करना, सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा एमएसएमई के बकाए का तत्काल भुगतान शामिल हैं। इसने आरबीआई से भी ऐसे कदम उठाने का आग्रह किया है ताकि एमएसएमई इकाइयों को तत्काल लिक्विडिटी उपलब्ध हो सके।

अभी तक की घोषणाओं का एमएसएमई को ज्यादा लाभ नहीं

वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ने कई कदमों की घोषणा की है, लेकिन उनका एमएसएमई सेक्टर को ज्यादा लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है। यह भी कहा जा रहा है कि सरकार के पास बड़ा राहत पैकेज देने की गुंजाइश नहीं है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों एवं विभागों से कहा जा रहा है कि वे एमएसएमई की बकाया राशि का जल्दी भुगतान करें। इसके लिए अलग से फंड बनाने का भी प्रस्ताव है।

प्रवासी श्रमिकों के जाने से काम शुरू करने में होगी परेशानी

एमएसएमई के सामने एक और समस्या है। एमएसएमई चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट रजनीश गोयनका के अनुसार ज्यादातर इकाइयों में 40 से 50 फीसदी काम करने वाले दूसरे राज्यों के होते हैं। गौरतलब है कि लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने से ठीक पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन और बस से अपने यहां ले जाने की अनुमति दी है। ऐसे में लॉकडाउन खत्म होने के बाद इन इकाइयों में काम शुरू करने में दिक्कतें आएंगी।

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