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कोरोना और कैंसर से जुड़ी कई लाइफसेविंग दवाएं जीएसटी मुक्त, जाने पेट्रोल-डीजल को लेकर क्या हुआ फैसला

राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। केंद्रीय वित्त...
कोरोना और कैंसर से जुड़ी कई लाइफसेविंग दवाएं जीएसटी मुक्त, जाने पेट्रोल-डीजल को लेकर क्या हुआ फैसला

राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर विचार हुआ। सीतारमण ने कहा कि यह मुद्दा केरल हाई कोर्ट के ऑर्डर पर बैठक के एजेंडे में आया। यह तय हुआ है कि काउंसिल को यह बात हाई कोर्ट को बतानी चाहिए कि इस मामले पर चर्चा हुई है। जीएसटी के सदस्यों ने इसका विरोध किया। जीएसटी काउंसिल मानना है कि यह समय पेट्रोलियम पदार्थों को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाने का नहीं है।

जीएसटी परिषद की यहां हुई 45वीं बैठक के बाद उन्होंने यह भी कहा कि डीजल में मिलाये जाने वाले बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने कोविड उपचार में उपयोग होने वाली दवाओं पर लागू रियायती जीएसटी दरों का समय 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया है। यह छूट केवल दवाओं पर बढ़ाई गई है, मेडिकल इक्विपमेंट्स पर नहीं। Amphotericin B और Tocilizumab पर 31 दिसंबर तक कोई जीएसटी नहीं लगेगा। काउंसिल ने साथ ही मस्कुलर एट्रॉफी के इलाज में काम आने वाली दवाओं Zolgensma और Viltepso को भी जीएसटी में छूट देने का फैसला किया है। ये बहुत खास दवाएं हैं जिनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है। यह छूट पर्सनल यूज के लिए आयात की जाने वाली दवाओं पर मिलेगी। अब तक इन पर 12 फीसदी जीएसटी लगता था।

परिषद ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे कीट्रूडा पर कर दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का भी निर्णय किया है। इसके अलावा, माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिये राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले राष्ट्रीय परमिट शुल्क से छूट देने का फैसला किया गया है। परिषद ने जूता-चप्पल और कपड़ों पर एक जनवरी, 2022 से उल्टा शुल्क ढांचे (कच्चे माल पर कम और तैयार माल पर अधिक शुल्क) को ठीक करने को लेकर सहमति जतायी है। कलम पर 18 प्रतिशत की एकल दर से जीएसटी जबकि विशिष्ट नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर 12 प्रतिशत माल एवं सेवा कर लगाने का निर्णय किया गया है।

परिष्द द्वारा लिये गये एक अन्य फैसले में कहा गया है कि स्विगी और जोमैटो जैसी ई-वाणिज्य इकाइयां उनके जरिये आपूर्ति की जाने वाली रेस्तरां सेवा पर जीएसटी का भुगतान करेंगी, यह कर डिलिवरी बिंदु पर वसूला जाएगा। जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में गुजरात को छोड़कर लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों) के वित्त मंत्री शामिल हुए। इसमें केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

कोविड-19 महामारी के बाद आमने-सामने बैठकर हुई यह परिषद की पहली बैठक थी। इस तरह की आखिरी बैठक 20 महीने पहले 18 दिसंबर 2019 को हुई थी। उसके बाद से परिषद की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही हो रही थी। देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी। जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था। लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है।

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