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कौन हैं करुणा शुक्ला, जिन्हें कांग्रेस ने रमन सिंह के खिलाफ उतारा

पिछले काफी समय से ये चर्चा और प्रश्न जोरों पर था कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ...
कौन हैं करुणा शुक्ला, जिन्हें कांग्रेस ने रमन सिंह के खिलाफ उतारा

पिछले काफी समय से ये चर्चा और प्रश्न जोरों पर था कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव में कांग्रेस की तरफ से चुनाव कौन लड़ेगा? लेकिन सोमवार को इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कांग्रेस ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को राजनांदगांव से डॉ रमन के खिलाफ टिकट दिया है।

दरअसल, राजनांदगांव से कांग्रेस की तरफ से करुणा शुक्ला को मैदान में उतारने को लेकर चर्चा तो जोरों पर थीं लेकिन ये चर्चा उस समय और तेज हो गई जब राजनांदगांव के दोनों जिलाध्यक्षों ने पुनिया से मिलकर ये मांग की थी कि यहां से किसी बड़े चेहरे को मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ाया जाए। राजनांदगांव से कांग्रेस की सीट पर प्रत्याशी कौन होगा इस पर सस्पेंस तब खत्म हुआ जब सोमवार को पार्टी ने रमन सिंह के खिलाफ अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला का नाम सामने रखा।

 

बीजेपी ने खोई अपनी विचारधारा और संस्कृति

करुणा शुक्ला ने मंगलवार को बीजेपी पर तंज कसते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी को विचारधाराओं के साथ स्थापित किया था। लेकिन बीजेपी ने अपनी विचारधाराओं और संस्कृति को खो दिया है। इन सभी को ध्यान में रखते हुए मैंने 32 साल तक पार्टी से जुड़ी रही लेकिन अब मैंने बीजेपी को छोड़ दिया है।

उन्होंने आगे कहा, ‘डॉक्टर रमन सिंह 15 साल से छत्तीसगढ़ के सीएम हैं। 10 साल से वो राजनांदगांव के विधायक हैं। लेकिन, उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए, कांग्रेस अध्यक्ष ने मुझे वहां यानी राजनांदगांव के लोगों के हितों के लिए संघर्ष करने को भेजा है’।

मोतीलाल वोरा के नाम को लेकर भी चर्चा जोरों पर थी

हालांकि पिछले दिनों ये चर्चा भी चली थी कि पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा सीएम के खिलाफ मैदान में हो सकते हैं। फिर नाम ताम्रध्वज साहू का भी आया। दरअसल, कांग्रेस चाह रही थी कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ कोई बड़ा नाम उतारा जाए। किसी भी कांग्रेस नेता में रमन सिंह के खिलाफ उतरने का साहस नहीं दिख रहा था। लिहाजा अपने अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा हामी भरने को तैयार नहीं था। दूसरी तरफ करुणा शुक्ला के लिए फिलहाल उनकी पसंदीदा जगहों में गुंजाइश बनती भी नहीं दिख रही थी।

रमन सिंह के खिलाफ किसी दमदार व्यक्ति को टिकट देने का आग्रह

राजनांदगांव जिले के शहर जिलाध्यक्ष दिनेश शर्मा और ग्रामीण जिलाध्यक्ष नवाज खान ने पार्टी के प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया से मुलाकात कर उनसे ये आग्रह किया था कि राजनांदगांव से मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के खिलाफ किसी दमदार बड़े व्यक्ति को टिकट दें।

जानें कौन है करुणा शुक्ला

करुणा शुक्ला का जन्म 1 अगस्त 1950 को अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार में हुआ था। 1982 से 2014 तक भाजपा में रहीं करुणा 1993 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुनी गईं। 2004 के लोकसभा के चुनावों में करुणा ने भाजपा के लिए जांजगीर सीट जीती थी, लेकिन 2009 में करुणा कोरबा सीट से कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गईं थीं। पूरे छत्तीसगढ़ में करुणा ही भाजपा की एकमात्र प्रत्याशी थीं जो चुनाव हारी थीं।

2014 में करुणा ने थामा कांग्रेस का दामन

राज्‍य की बाकी सभी सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। भाजपा में रहते हुए करुणा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, जिनमें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी है, लेकिन 32 साल बीजेपी में रहने के बाद उन्होंने साल 2014 में अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बताया जाता है साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से नाराज करुणा शुक्ला ने पार्टी छोड़ दी थी और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। यहीं से अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी कांग्रेस की 'करुणा' बन गईं।

कांग्रेस में आने के बाद से करुणा शुक्ला ने लगातार सीएम के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। पार्टी ने उन्हें वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में बिलासपुर से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह बीजेपी के लखनलाल साहू से चुनाव हार गई थीं और अब करुणा शुक्ला का सामना प्रदेश के मुखिया के साथ हैं। ऐसे में करुणा की राह आसान नहीं है।

15 वर्षों से सत्‍ता से बाहर है कांग्रेस

छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है और इस बार के चुनाव में वह वापसी की कोशिश में है। वहीं, बीजेपी इस चुनाव में 65 से अधिक सीटों पर जीत हासिल कर चौथी बार सरकार बनाना चाहती है। राज्य में 2013 में हुए चुनाव में भाजपा को 90 में से 49 सीटों पर और कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, एक-एक सीटों पर बसपा और निर्दलीय विधायक हैं।

यह है कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी सूची-

राजनांदगांव से करुणा शुक्ला

खुज्जी से चन्नी साहू

मोहला मानपुर से इंदर शाह मंडावी

खैरागढ़ से गिरवर जंघेल

डोंगरगढ़ से भुवनेश्वर सिंह बघेल

डोंगरगांव से दिलेश्वर साहू

12 नाम पहले ही जारी कर दिए थे

गौरतलब है कि कांग्रेस ने पहले चरण के लिए 18 सीटों में से 12 नाम पहले ही जारी कर दिए थे। बाकी बचे छह नामों का ऐलान सोमवार की शाम किया गया। पहले चरण के चुनाव 12 नवंबर को होने वाले हैं।

 

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