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आइएनएक्स मीडिया मामले में चार्जशीट से चिदंबरम से ज्यादा सीबीआई को नुकसान

आइएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम और बेटे कार्ति समेत 14 लोगों के खिलाफ दो महीने बाद सीबीआइ ने 18 अक्टूबर...
आइएनएक्स मीडिया मामले में चार्जशीट से चिदंबरम से ज्यादा सीबीआई को नुकसान

आइएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम और बेटे कार्ति समेत 14 लोगों के खिलाफ दो महीने बाद सीबीआइ ने 18 अक्टूबर को चार्जशीट फाइल कर दी। उन पर और उनके बेटे कार्ति पर आइएनएक्स मीडिया कंपनी को अवैध विदेशी निवेश को दिलाने के लिए 2008 में 9.96 लाख रुपये की रिश्वत का आरोप लगाया गया है। उम्मीद थी कि चार्जशीट से कुछ में काफी कुछ निकलेगा लेकिन इसके विपरीत चार्जशीट एक मरे चूहे के समान ही निकली। इससे सीबीआइ की साख पर सवाल खड़ा होता है। लोगों की धारणा में भी इस तरह की चार्जशीट आरोपियों की तुलना में सीबीआई को अधिक नुकसान पहुंचाती है।

करीब दो महीने पहले 21 अगस्त को गिरफ्तार और 5 सितंबर से न्यायिक हिरासत में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को असल में ‘ट्रीटमेंट’ दिया जा रहा है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके साथ इस तरह व्यवहार कर रही हैं है जो पेशेवर और कठोर अपराधियों से निपटने के लिए किया जाता है। ऐसे देश में जहां आर्थिक अपराधी राजनीतिक संरक्षण के चलते अक्सर आराम से छूट जाते हैं वहीं, चिदंबरम के साथ किया जा रहा व्यवहार उनके अपराध के मुकाबले वाकई बहुत ज्यादा कठोर है।

'दंड नहीं पुरस्कार मिलना चाहिए'

क्या यह चिदंबरम के लिए क्रूर परिस्थतियां नहीं है। उन पर जितनी रिश्वत की रकम का आरोप लगा है तो क्या उनके पास इतनी रकम भी नहीं होगी। एक पूर्व राजनयिक ने ट्वीट किया, ‘पंजाब में राजस्व अधिकारी संपत्ति के पंजीकरण के लिए इससे कहीं ज्यादा रकम वसूलता है, यह रेट ठीक नहीं।‘ एक अन्य ने ट्विटर पर व्यंग्य करते हुए कहा, ‘आप भाई निर्दोष हैं।‘ क्योंकि आप पर 305 करोड़ रुपये की मंजूरी के लिए दस लाख रुपये का आरोप लगाया। एक फीसदी भी नहीं। केंद्र सरकार के एक रिटायर्ड सचिव ने कहा कि 300 करोड़ रुपये के लिए दस लाख देना यह इज ऑफ डूइंग बिजनेस हैं। आपको दंड नहीं कहां बल्कि पुरस्कार मिलना चाहिए।

हालांकि, यह कोई हंसी की बात नहीं है। न ही यह सरकार के लिए एक मजाक का विचार हो सकता है क्योंकि सीबीआई ने दो हजार पेज की चार्जशीट फाइल की है और वो भी गिरफ्तारी की तारीख से 60-दिन की मियाद से पहले। यहां तक कि उनके आलोचकों ने इसे चार्जशीट को सख्त बनाने की उम्मीद की होगी।

'चिदंबरम की हैसियत कहीं अधिक'

एक राजनीतिज्ञ ने कहा कि यह आश्चर्यजनक था कि चिदंबरम एक शानो-शौकत वाले परिवार से हैं। उन्होंने बैंकों, एक बीमा कंपनी, अन्य उद्यमों और संस्थानों के बीच एक विश्वविद्यालय की स्थापना कीष उनकी खुद की संपत्ति सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की हो सकती है। वह दो महीने से हिरासत हैं क्योंकि अपनी बेटी की हत्या की आरोपी एक महिला ने दावा किया है कि उसने चिदंबरम को 9.96 लाख रुपये रिश्वत दी है।

रिश्वत का लगाया है आरोप

चिदंबरम और कार्ति के साथ, पीटर मुखर्जी और पूर्व अधिकारियों सहित 12 अन्य लोगों को चार्जशीट में नामित किया गया है। इसमें कहा गया है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम ने "विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) से आइएनएक्स मीडिया को एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी देने के बदले खुद के लिए भुगतान और अपने बेटे के व्यावसायिक हित की गारंटी ली। चार्जशीट में कहा गया है कि यह मीटिंग मार्च 2007 में उनके नॉर्थ ब्लाक ऑफिस में हुई। उस समय वहां पत्रकार वीर सांघी भी थे जब बदले में रकम की मांग की गई।सीबीआई के मुताबिक, चिदंबरम ने इंद्राणी मुखर्जी से रिश्वत की मांग की। चार्जशीट में इंद्राणी का जिक्र नहीं है। वह मामले में एप्रवूर हैं।

साख पर उठा सवाल

मुद्दा यह नहीं है कि 10 लाख रुपये कम राशि है। बल्कि आरोपों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करती है। अगस्त में सीबीआई और ईडी ने चिदंबरम को हिरासत में ले लिया था। उम्मीद थी कि चार्जशीट से कुछ बड़ा निकलेगा। इसके विपरीत चार्जशीट एक मरे चूहे के समान निकली। इससे पहले मामला हल्का होता है और सीबीआइ की साख पर सवाल खड़ा होता है। लोगों की धारणा में, इस तरह की चार्जशीट आरोपियों की तुलना में सीबीआई को अधिक नुकसान पहुंचाती है। हालाँकि, अब यह देखने में ज्यादा दिलचस्प होगा कि न्यायपालिका इससे कैसे निपटती है। इस बीच, यह बहस जारी है कि क्या 10 लाख रुपये से कम की रिश्वत को मूंगफली या चिकनफूड के रूप में वर्णित किया जाना चाहिए।

 

(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)

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