Advertisement

इंटरव्यू । “केरल को उपलब्धियों का दंड”: पिनाराई विजयन

“केरल का नाम उन राज्यों में शामिल है जिन्हें आरबीआइ ने राज्यों पर बढ़ते कर्ज के लिए सब्सिडी को एक...
इंटरव्यू । “केरल को उपलब्धियों का दंड”: पिनाराई विजयन

“केरल का नाम उन राज्यों में शामिल है जिन्हें आरबीआइ ने राज्यों पर बढ़ते कर्ज के लिए सब्सिडी को एक प्रमुख कारण मानते हुए चेताया है”

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज के लिए सब्सिडी को एक प्रमुख कारण बताया है। केरल का नाम उन राज्यों में शामिल है जिन्हें आरबीआइ ने चेताया है। आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ फ्रीबी विवाद, आरबीआइ की रिपोर्ट, राज्य पर बढ़ते कर्ज का बोझ, आदि मुद्दों पर बातचीत की। संपादित अंश:

प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि ‘रेवड़ी’ कल्चर अर्थव्यवस्था के विकास में एक बाधा है। इस पर केरल सरकार का क्या रुख है?

समाज के गरीब वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का रेवड़ी कहकर उपहास करना ठीक नहीं है। अमीरों को भी सरकार से रियायतें मिलती हैं। जरूरतमंदों को प्रदान की जाने वाली कोई भी ‘उपयोगिता’ निस्संदेह अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। गरीब परिवार को शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली मुफ्त में मिलती है तो वह बाकी खपत पर अधिक खर्च कर सकता है।

कल्याणकारी योजनाओं पर सरकारी खर्च के लिए नियंत्रण और संतुलन होना चाहिए?

सिस्टम में पर्याप्त चेक एंड बैलेंस हैं। खर्च और कर लगाने के लिए विधायी मंजूरी की आवश्यकता होती है। उधार संसद और विधायिकाओं के कानूनों द्वारा सीमित हैं, लेकिन अनुचित प्रतिबंध राज्यों और स्थानीय सरकारों की वित्तीय गुंजाइश को बाधित करेंगे। इसका आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, खासकर तब जब कोविड-19 का प्रभाव अब भी अर्थव्यवस्था पर बना हुआ है।

एक सवाल यह उठ रहा है कि कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर सरकारें धन का दुरुपयोग कर रही हैं और इसका अर्थव्यवस्था पर अनुचित प्रभाव पड़ रहा है?

यह बेतुका तर्क है। हमने केरल में उच्च कोटि की कल्याणकारी योजनाएं चलाईं जिससे राज्य का मानव विकास सूचकांक में अच्छा प्रदर्शन है।

आरबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राज्य सब्सिडी पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं और कहा कि केरल के वित्तीय स्वास्थ्य का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

जहां तक 2020-21 में सब्सिडी का संबंध है, हमारी खाद्य सब्सिडी अधिक रही है और यह कोविड-19 महामारी के मद्देनजर असाधारण स्थिति में प्रदान की गई राहत के कारण है। इसे राजकोषीय लापरवाही के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, अप्रत्याशित परिस्थितियों ने इसे जरूरी बना दिया।

केरल सरकार ने देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की है कि केंद्र ने राज्य के संसाधनों में 23000 करोड़ की कटौती की है। मेरा सवाल यह है कि कहां-कहां से यह कटौती की गई है?

2022-23 में राजकोषीय घाटे के जीएसडीपी अनुपात में 4.0 से 3.5 प्रतिशत की कमी के कारण केरल को 3628 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के वैधानिक संगठनों द्वारा उधार को शामिल करके खुले बाजार से उधार की सीमा को कम करने के निर्णय के परिणामस्वरूप 3578 करोड़ रुपये, जीएसटी मुआवजे की समाप्ति से 12000 करोड़ रुपये और राजस्व घाटे को कवर करने के लिए अनुदानों को कम करने से 7000 करोड़ रुपये की कमी होगी। ये कुल मिलाकर 26,228 करोड़ रुपये हैं जो हमारे द्वारा पहले के अनुमान 23000 करोड़ रुपये से अधिक है। केरल जैसे राज्य को उसकी उपलब्धियों के लिए दंडित किया जा रहा है।

केरल आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?

हम उधार पर सबसे अधिक निर्भर राज्य नहीं हैं। हमारे पास सार्वजनिक वित्त में महामारी प्रेरित समस्या है। मैं यह भी बता दूं कि केंद्र की कुछ कार्रवाइयां, जैसे जीएसटी मुआवजे को बंद करना, उधार लेने की सीमा पर अंकुश आदि केरल सहित राज्यों के वित्तीय स्थान को गंभीर रूप से सीमित कर रही हैं। राज्यों पर इस तरह की वित्तीय बाधाएं थोपना, वह भी सामान्य आर्थिक मंदी की इस अवधि के दौरान, अन्यायपूर्ण है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad